Monday, June 30, 2025

हरियाणा के 8 MLA बोले- अफसरशाही बेलगाम:न फोन उठाते, न कार्यक्रम में बुलाते, अपमान कर रहे, विज बोले- विधायक का प्रोटोकॉल CS से ऊपर

हरियाणा में विधायकों को सम्मान नहीं मिल रहा है। अफसर उनकी फोन कॉल रिसीव नहीं करते। कार्यक्रमों और सरकारी बैठकों की सूचना नहीं देते। विधायकों की कहीं सुनवाई भी नहीं हो रही। खासकर कांग्रेस के विधायकों की। पिछले 3 महीने में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। विधायक प्रोटोकॉल कमेटी के चेयरमैन रहे मंत्री अनिल विज कहते हैं-विधायक का प्रोटोकॉल सरकार के चीफ सेक्रेटरी (CS) से भी ऊपर होता है। मनोहरलाल सरकार ने हरियाणा में पहली बार साल 2022 में विधायक प्रोटोकॉल कमेटी बनाई थी। जिसमें तत्कालीन अम्बाला सिटी विधायक असीम गोयल को चेयरमैन बनाया गया। उनके बाद कैबिनेट मंत्री अनिल विज चेयरमैन बने। हांसी से भाजपा विधायक विनोद भयाना कमेटी के तीसरे चेयरमैन रहे। अब मार्च 2025 के बाद नायब सैनी सरकार में इस कमेटी की गठन नहीं किया गया। विधानसभा स्पीकर हरविंद्र कल्याण ने बाकी 15 विधानसभा कमेटियों का गठन तो कर दिया, लेकिन प्रोटोकॉल कमेटी नहीं बनाई। इस कमेटी के जरिए सूबे के सभी 90 विधायक अपनी शिकायतों को रखते थे। ये कमेटी विधायकों के द्वारा अधिकारियों के तिरस्कारपूर्ण व्यवहार व अन्य मामलों की शिकायतों के सुनने का अधिकार रखती थी। कैबिनेट मंत्री अनिल विज कहते हैं... विधायक का प्रोटोकॉल मुख्य सचिव से भी ऊपर होता है। जनता के प्रतिनिधि होने के कारण उसे उचित सम्मान मिलना चाहिए, चाहे वह सत्ता पक्ष का हो या विपक्ष का। मैंने अपने विभाग के अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वह सभी विधायकों, मंत्रियों के फोन उठाएं। मैंने प्रोटोकॉल उल्लंघन के मामले में लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। आइये जानते हैं 8 घटनाएं….कहीं विधायक से हाथपाई हुई, कहीं कुर्सी नहीं दी थानेसर नगर परिषद की बैठक में अशोक अरोड़ा से हाथापाई कुरुक्षेत्र के थानेसर से कांग्रेस विधायक अशोक अरोड़ा के साथ 23 मई को कुरुक्षेत्र की नगर परिषद की बैठक में भाजपा के पार्षद प्रतिनिधि ने हाथापाई की। बैठक में अधिकारी भी थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की। अरोड़ा इस संबंध में शिकायत लेकर स्पीकर हरविंद्र कल्याण से मिले थे। विधायक प्रोटोकाल कमेटी नहीं होने के कारण उनका मामला विधानसभा की प्रिविलेज कमेटी में सुना जा रहा है। विधायक अशोक अरोड़ा कहते हैं, 'सरकार पूरी धक्काशाही कर रही है। मैंने इस मामले को लेकर 2 शिकायत दीं, कोई कार्रवाई नहीं की गई। विधायक के प्रति कोई प्रोटोकॉल फॉलो नहीं किया जा रहा है। हारे हुए नेता लोगों के बीच में जाकर ग्रांट बांट रहे हैं।' निर्मल सिंह के आने पर अफसर कुर्सी से नहीं उठे, उद्घाटनों में नहीं बुला रहे अम्बाला सिटी से कांग्रेस विधायक एवं पूर्व मंत्री निर्मल सिंह लगातार शिकायत कर रहे हैं कि प्रोटोकॉल फॉलो नहीं हो रहा। वो सिटी नगर निगम में पहुंचे तो निगम कमिश्नर कुर्सी से नहीं उठे और कुर्सी भी ऑफर नहीं की। सरकारी प्रोजेक्ट के उद्घाटन में नहीं बुलाते। ताजा विवाद बस स्टैंड के पास पार्किंग के उद्घाटन को लेकर चल रहा है। विधायक निर्मल सिंह ने कहा कि हम जनप्रतिनिधि हैं, हमारा भी प्रोटोकॉल है, लेकिन सरकार की लापरवाही के कारण ये सब हो रहा है। अफसर हावी हो रहे हैं। भाजपा विधायक प्रमोद विज ने अफसर को 13 बार सॉरी-प्लीज बोला पानीपत में बीजेपी के विधायक प्रमोद विज भी अधिकारियों से नाराज चल रहे हैं। पानीपत में शराब के ठेके को लेकर विधायक ने जिला आबकारी अधिकारी को ठेका गलत जगह खुले होने की बात बताई थी। इस पर अधिकारी विधायक की बात को न समझने और न मानने के मूड में दिखाई दिए। इस बातचीत का एक वीडियो भी सामने आया है। जिसमें प्रमोद विज अधिकारी को फोन पर 13 बार सॉरी और प्लीज बोलते हुए दिखे। SDO ने नरेश सेलवाल का फोन नहीं उठाया, कार्यालय में अपमान किया हिसार जिले के उकलाना हलके से कांग्रेस विधायक नरेश सेलवाल ने बिजली निगम के SDO पर आरोप लगाया कि अधिकारी ने उनका फोन नहीं उठाया। यहां तक कि जब हलके के लोगों के साथ SDO के कार्यालय में पहुंचे तो दुर्व्यवहार किया। जिस पर उन्होंने मुख्यमंत्री, बिजली मंत्री, मुख्य सचिव और विभाग के इंजीनियर को लिखित शिकायत की। देवेंद्र हंस ने 20 बार कॉल की, SP ने न रिसीव की, न वापस कॉल की कैथल जिले के गुहला चीका हलके से कांग्रेस विधायक देवेंद्र हंस ने शिकायत की कि किसी मामले में उन्हें एसपी से बात करनी थी। उन्होंने तत्कालीन एसपी (राजेश कालिया) को लगातार 20 से अधिक बार मोबाइल कॉल लगाई। एसपी न न कॉल रिसीव की और बैक-कॉल की। इस मामले में स्पीकर ने विधानसभा की प्रिविलेज कमेटी के सामने जांच के आदेश दिए। सेतिया बोले- जिन कामों के लिए कहा, अधिकारियों ने नहीं किए सिरसा से कांग्रेस विधायक गोकुल सेतिया भी फोन रिसीव न करने पर डीटीपी कार्यालय पहुंच गए थे। उसके बाद अधिकारी से तीखी बहस हुई। अब दो दिन पहले ही सोतिया ने सोशल मीडिया पर लाइव होकर जिला परिषद के सीईओ के चेतावनी दी कि सुधर जाओ, नहीं तो छठी का दूध याद दिला देंगे। विधायक का कहना है कि उन्होंने जिन-जिन कार्यों के लिए लेटर लिखे, वो काम गांवों में हुए नहीं हैं। शिक्षा मंत्री ढांडा का बिजली निगम के SE ने फोन नहीं उठाया, विज ने सस्पेंड किया पानीपत ग्रामीण से विधायक एवं शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने किसी काम को लेकर बिजली निगम के जींद के एससी हरिदत्त को मोबाइल कॉल लगाई। अधिकारी ने कॉल नहीं उठाई। मंत्री ने मैसेज किया, इसके बावजूद कॉल नहीं रिसीव हुई। ढांडा ने इसकी शिकायत बिजली मंत्री अनिल विज से की। इस पर विज ने एसई को सस्पेंड करने के आदेश दिए। हालांकि बाद में एसई ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई तो कोर्ट ने बगैर कारण बताए निलंबन को गलत ठहराया था। बाद में सरकार ने निलंबन का कारण बताते हुए आदेश जारी किया। रेणु बाला को बैठकों की सूचना नहीं मिल रही, कोने की कुर्सी पर बैठाया साढौरा से कांग्रेस विधायक रेणु बाला ने कहा कि जबसे विधायक बनी हैं, उनके पास आज तक कष्ट निवारण समिति की बैठक का एजेंडा नहीं पहुंचा है और न प्रशासन कोई सूचना देता है। 21 जून को कष्ट निवारण समिति की बैठक में पहुंचीं तो कोने की कुर्सी पर बैठाया गया। उन्होंने बैठक में मंत्री कृष्ण बेदी से शिकायत की। अफसर विधायकों के प्रति खासकर कांग्रेस के विधायकों के प्रति प्रोटोकॉल फॉलो नहीं कर रहे। मंत्री श्याम सिंह राणा व विधायक रामकुमार गौतम भी जता चुके नाराजगी आफताब बोले- विपक्ष की तो छोड़िये सत्ता पक्ष के विधायकों की भी नहीं सुन रहे नूंह से कांग्रेस विधायक आफताब अहमद कहते हैं-विधायक चाहें सत्ता पक्ष का हो या विपक्ष का, वह जनता का प्रतिनिधि है। ब्यूरोक्रेसी के साथ ही सरकार में उसकी सुनी जानी चाहिए। वर्तमान सरकार में ब्यूरोक्रेसी हावी है। जब सत्ता पक्ष के विधायकों के ही अधिकारी फोन नहीं उठा रहे हैं, तो विपक्ष के क्या ही उठाएंगे। विधायकों को अपनी बात रखने के लिए एक उचित माध्यम होना जरूरी है। प्रोटोकॉल कमेटी का मामला स्पीकर, सीएम व गवर्नर तक पहुंचा विधायक प्रोटोकॉल कमेटी के पुनर्गठन के लिए विधानसभा स्पीकर हरविंद्र कल्याण, गवर्नर बंडारू दत्तात्रेय, सीएम नायब सैनी तक मामला पहुंचा है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने इस संबंध में डिप्टी स्पीकर डॉ. कृष्ण लाल मिड्ढा, संसदीय कार्यमंत्री महिपाल ढांडा को भी विधायक प्रोटोकाल कमेटी के तत्काल पुनर्गठन करने के लिए ज्ञापन भेजा है।.इस शिकायत में उन्होंने कहा है कि इस कमेटी के नहीं होने से प्रदेश में कई विपक्षी विधायकों सहित सत्तासीन विधायक अपनी शिकायतों को दर्ज नहीं करा पा रहे हैं।​​​​​​ लोकसभा की तर्ज पर कमेटी का हुआ गठन 23 जून 2022 को हरियाणा विधानसभा के तत्कालीन स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने पहली बार लोकसभा की तर्ज पर इस कमेटी का गठन किया था। उन्होंने हरियाणा विधानसभा की कार्य संचालन नियमावली के नियम संख्या 204 के अंतर्गत विधानसभा सदस्यों अर्थात विधायकों के प्रोटोकॉल मानदंडों का उल्लंघन और सरकारी अधिकारियों द्वारा तिरस्कारपूर्ण व्यवहार की जांच संबंधी सदन की कमेटी का गठन किया था। इसके लिए 3 कमेटी बन चुकी हैं। पहली कमेटी असीम गोयल की अध्यक्षता में बनी पहली बार कमेटी का गठन अम्बाला सिटी के विधानसभा से तत्कालीन भाजपा विधायक असीम गोयल की अध्यक्षता में हुआ। विधायक भारत भूषण बत्रा, प्रमोद कुमार विज, मोहल लाल बड़ौली, जोगी राम सिहाग, नरेंद्र गुप्ता, नयन पाल रावत एवं रेणु बाला कमेटी में शामिल रहे। हालांकि 19 मार्च, 2024 में पहली नायब सैनी सरकार में असीम गोयल के राज्यमंत्री बना दिया गया। विज लोक उपक्रमों संबंधी और शिष्टाचार समिति के चेयरमैन बने ​​​​मनोहर लाल के बाद जब नायब सैनी को मार्च 2024 में मुख्यमंत्री बनाया गया तो अनिल विज ने मंत्रिमंडल में शामिल होने से इनकार कर दिया। तब विज को 29 मार्च 2024 को लोक उपक्रमों संबंधी और शिष्टाचार समिति का चेयरमैन बनाया गया। विधायक किरण चौधरी, कमलेश ढांडा, भारत भूषण बत्रा, प्रमोद कुमार विज, प्रवीण डागर, जोगी राम सिहाग, शमशेर गोगी, सुभाष गंगोली व नयन पाल रावत को सदस्य बनाया। तीसरी बार भयाना बने चेयरमैन स्पीकर हरविंदर कल्याण ने 23 नवंबर 2024 को हांसी से भाजपा विधायक विनोद भयाना को कमेटी का चेयरमैन बनाया। विधायक कृष्णा गहलावत, रघुबीर तेवतिया, अनिल यादव, डॉ. कृष्ण कुमार, मनमोहन भड़ाना, मंदीप चट्ठा, विनेश फोगाट, अर्जुन चौटाला और राजेश जून को कमेटी सदस्य बनाया। 31 मार्च 2025 को कमेटी का कार्यकाल समाप्त हो गया। स्पीकर का तर्क- प्रोटोकॉल कमेटी प्रिविलेज कमेटी में मर्ज कर दी हरियाणा में विधानसभा प्रिविलेज कमेटी बनी है, हालांकि ये सदन के अंदर से जुड़े मामले ही देखती है। जबकि स्पीकर हरविंद्र कल्याण ये तर्क दे रहे हैं कि प्रिविलेज कमेटी विधानसभा के अंदर और बाहर दोनों मामले देख रही है। विधायक प्रोटोकॉल कमेटी के प्रिविलेज कमेटी में ही मर्ज कर दिया गया है।

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