हरियाणा के झज्जर जिले का बेटा लेफ्टिनेंट की पोस्ट पर तैनात होकर अब देश की सेवा करेगा। मयंक ने छोटी सी उम्र में बॉर्डर फिल्म देखकर मन में ठान लिया था कि उसे भी आर्मी में जाकर देश की सेवा करनी है। छोटी सी उम्र से जुनून को मन में लेकर चले मयंक दलाल आज आर्मी में लेफ्टिनेंट बन गए हैं। घर में दादा का सबसे लाडला पोता मयंक परिवार के लोगों के साथ साथ बच्चों के साथ ज्यादा घुल मिलकर रहता है और वह खेल में भी रुचि रखता है। मयंक दलाल ने जुलाई 2021 में एनडीए का टेस्ट क्लियर कर आईएमए में सिलेक्शन हुआ जिसके बाद तीन साल की पढ़ाई के बाद मई 2024 में एनडीए से क्लियर हुए और एक साल की ट्रेनिंग के बाद अब मयंक दलाल आइ एमए से पास आउट हुआ है और लेफ्टिनेंट बना है। मयंक दलाल का जन्म 30 जनवरी 2002 को जिले के गांव आसौदा टोडरान में हुआ था। पांच साल का था तब देखी थी बॉर्डर फिल्म मयंक दलाल के पिता चांद सिंह ने बताया कि बचपन से अपने मन में सपना संजोकर चलने वाला उनका बेटा मयंक अपने दादा ओमप्रकाश दलाल का सबसे लाडला रहा है। उन्होंने कहा कि आज मयंक ने लेफ्टिनेंट बनकर सर गर्व से ऊंचा कर दिया है। पिता ने बताया कि बचपन में ही जब मयंक 5 साल का था तब उसने टीवी पर बॉर्डर फिल्म देखी थी। उसके बाद से ही वह अपने मन में जुनून बनाकर कहता फिरने लगा था कि वह फौजी बनेगा और देश की सेवा करेगा। आज भी आर्मी से जुड़ी कोई फिल्म नहीं छोड़ता पिता चांद सिंह बताते हैं कि कई बार तो मयंक को बॉर्डर फिल्म स्पेशल दिखाकर लानी पड़ी थी। उसने एक बार फिल्म देखने के बाद भी बार बार बॉर्डर फिल्म देखी और फौजी बनने का सपना और भी अधिक मजबूत करता गया। वहीं मयंक के पिता बताते हैं कि अब वह बड़ा हो गया है और देश सेवा का सपना भी पूरा हो गया है। लेकिन आज भी आर्मी से जुड़ी फिल्में देखना बंद नहीं की हैं बल्कि आर्मी से जुड़ी हर फिल्म को बड़े ही ध्यान से देखता है। फुटबाल खेलने में माहिर है लेफ्टिनेंट मयंक पिता बताते हैं कि मयंक को स्पोर्टस में फुटबाल खेलना पसंद है और वह स्कूल और कॉलेज में भी फुटबाल खेलता आया है। फुटबाल का अच्छा प्लेयर होने के चलते वह आइ एमए में भी फुटबाल खेलने जाता था। मयंक आइ एमए फुटबाल टीम में गोल कीपर रहता था। फौजियों से मिलने का नहीं छोड़ा कोई मौका मयंक दलाल के पिता चांद सिंह ने बताया कि वह छोटी सी उम्र में ही बड़े सपने बुनने लगा था और गांव में या जहां कहीं पर भी फौजी दिखते तो उनसे मिलने का बहाना ढूंढ़ा और उनसे हाथ मिलाना सैल्यूट करना ये सब आदतें रही हैं। वहीं जब भी मौका मिलता तो वह फौजियों को कभी पानी पिलाने जाता तो उन्हें चाय देने जाता। पिता सरकारी कामों का लेते हैं टेंडर मयंक ने 12 वीं की पढ़ाई के बाद कालेज में एनसीसी को भी जॉइन किया था। एनडीए का टेस्ट क्लियर होने के बाद वह अब लेफ्टिनेंट बन गया है। मयंक के पिता चांद सिंह सरकारी ठेकेदार का काम करते हैं उससे पहले उन्होंने 12 साल तक एक प्राइवेट स्कूल में बच्चों को भी पढ़ाया है। वहीं उन्होंने बताया कि मयंक के दादा ओमप्रकाश दलाल बिजली निगम में फोरमैन की पोस्ट से रिटायर हुए थे। दादा का लाडला है लेफ्टिनेंट मयंक दलाल लेफ्टिनेंट मयंक दलाल ने बताया कि वह फिल्मों की दुनिया से फौजी बनने का सपना तो बुन ही रहा था लेकिन सबसे ज्यादा इंस्पिरेशन उसे इस मुकाम तक पहुंचाने में उसके दादा ओम प्रकाश दलाल से मिला है। यही नहीं उसके दादा हमेशा उसे पॉजिटिव सोच के साथ आगे बढ़ने के जुनून पैदा करते आए हैं।
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