हरियाणा में नए जिलों का काम फिलहाल तीन सालों के लिए लटक गया है। अब सरकार इस पर केंद्र सरकार की जाति जनगणना के बाद ही कोई फैसला लेगी। अभी तक सरकार ने सिर्फ दो जिलों पर ही मंथन किया है। इनमें हांसी और गोहाना शामिल हैं। यही वजह है कि सरकार के द्वारा नए जिलों के मंथन को लेकर बनाई गई कैबिनेट सब कमेटी की एक भी मीटिंग जून में नहीं बुलाई है। 30 जून को कैबिनेट सब कमेटी के कार्यकाल खत्म होने के बाद 2027 या 2028 में नई कैबिनेट सब कमेटी बनाकर नए जिलों को बनाने पर फिर से मंथन करेगी। अभी तक जिन नए जिलों को बनाने की तैयारी चल रही थी, उनमें हिसार का हांसी, सिरसा का डबवाली, करनाल का असंध, जींद का सफीदों और सोनीपत का गोहाना शामिल है। इनमें हांसी और डबवाली पहले ही पुलिस जिले बनाए जा चुके हैं। इसके अलावा गुरुग्राम के मानेसर को भी जिला बनाने की मांग उठी थी, लेकिन डॉक्यूमेंट पूरे नहीं हो पाने के कारण अब तक इस पर कोई भी चर्चा नहीं की जा सकी है। यहां पढ़िए हरियाणा में कब शुरू होगी जाति गणना और क्या होगा असर... 1. हरियाणा में कब शुरू होगी जाति गणना जाति जनगणना दो चरणों में होगी, जिसकी शुरुआत 1 अक्टूबर, 2026 से होगी। पहले चरण में, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख जैसे चार पहाड़ी राज्यों में जनगणना की जाएगी। दूसरा चरण 1 मार्च, 2027 से शुरू होगा, जिसमें हरियाणा सहित बाकी राज्यों को शामिल किया जाएगा। यह जनगणना 2027 में पूरी होने की उम्मीद है। 2. सूबे में कई बदलाव होने के आसार हरियाणा में जाति गणना से सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक क्षेत्रों में कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं। इससे वंचित वर्ग की पहचान और सशक्तिकरण में मदद मिलेगी, साथ ही आरक्षण और नीतियों में भी बदलाव हो सकता है। हालांकि, इससे सामाजिक विभाजन और संघर्ष भी बढ़ सकता है। 3. रिजर्वेशन पॉलिसी-राजनीति में दिखेगा असर जाति गणना के आंकड़ों के आधार पर, रिजर्वेशन की टाइमलाइन और प्रावधानों में बदलाव होने के आसार हैं। यह भी संभव है कि कुछ जातियों को अधिक आरक्षण की आवश्यकता हो, जिससे 50% आरक्षण की सीमा पर सवाल उठ सकते हैं। जाति गणना के आंकड़े राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण होंगे, क्योंकि वे इन आंकड़ों का उपयोग चुनाव में टिकट वितरण, वोट बैंक की राजनीति और क्षेत्र में उम्मीदवारों के चयन में कर सकते हैं। हरियाणा सरकार इसलिए पीछे हट रही... 1. केंद्र ने भी फैसला टालने के लिए कहा हरियाणा के नए जिलों के बनने में देरी की सबसे बड़ी वजह जाति जनगणना के अलावा और भी हैं। इनमें एक वजह केंद्रीय नेता भी हरियाणा में नए जिले बनाने के फैसले को लेकर ज्यादा इच्छुक नहीं हैं। इसकी वजह है कि यदि सूबे में नए जिले बनाए जाते हैं तो जाति जनगणना के बाद जो बदलाव होंगे उसके हिसाब से राज्य सरकार को कई दिक्कतें आएंगी। इसलिए सरकार को केंद्र ने भी इस फैसले को जाति जनगणना पूरी होने तक टालने की सलाह दी है। 2. तीन साल तक कोई चुनाव नहीं नए जिले बनाने का काम सरकार राजनीतिक दृष्टि से ही करती है। हरियाणा में अभी न ही विधानसभा चुनाव होने हैं और न ही तीन साल तक लोकसभा चुनाव हैं। ऐसे में नए जिले बनाने का लाभ सरकार को नहीं मिलेगा और न ही वह इसे चुनाव में भुना पाएगी। हरियाणा में बीजेपी की सरकार का तीसरा टर्म है, लेकिन इन तीनों टर्म में सरकार ने कोई भी नया जिला नहीं बनाया है। इस कारण सरकार जब भी इसे लेकर कोई फैसला लेगी तो इसके पीछे का कारण चुनाव हो सकता है। कमेटी की अब तक 5 मीटिंग हो चुकीं नए जिले बनाने को लेकर सब-कमेटी की अब तक 5 बैठकें हो चुकी हैं। इसमें जिलों से आई डिमांड की स्टडी के लिए संबंधित प्रशासन को निर्देश दिए जा चुके हैं। कैबिनेट सब-कमेटी की पूर्व में हुई बैठकों में फैसला लिया जा चुका है कि हरियाणा में नए जिले, उपमंडल, उप-तहसील और नई तहसील बनाने के लिए उपायुक्तों की सिफारिश जरूरी है। ब्लॉक समिति के लिए संबंधित विधानसभा क्षेत्र के विधायक, नगर पालिका या नगर निगम का प्रस्ताव अनिवार्य किया गया है।
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