Tuesday, August 12, 2025

पानीपत में धर्म परिवर्तन का देना होगा घोषणा पत्र:DC बोले-झूठ बोलकर शादी करने पर 10 साल की सजा; 3 लाख लगेगा जुर्माना

हरियाणा विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन निवारण अधिनियम एवं नियम, 2022 के प्रावधानों की अनुपालना पानीपत जिले में प्रभावी ढंग से सुनिश्चित की जाएगी। किसी भी रूप से नियमों की अवहेलना न हो, इसके लिए प्रशासन अलर्ट मोड में है और निर्धारित नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। डीसी डॉ. वीरेंद्र कुमार दहिया ने बताया कि हरियाणा विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन निवारण अधिनियम एवं नियम, 2022 के प्रावधानों के तहत धर्म परिवर्तन करने का इरादा रखने वाले किसी भी व्यक्ति को धर्म परिवर्तन से पहले उपायुक्त कार्यालय को प्रपत्र ‘क’ में एक घोषणा पत्र प्रस्तुत करना होगा। जिन मामलों में धर्मांतरण किया जाने वाला युवा नाबालिग है, तो जीवित माता-पिता दोनों को प्रपत्र ‘ख’ में एक घोषणा पत्र प्रस्तुत करना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त, किसी भी धार्मिक पुजारी या धर्मांतरण समारोह का आयोजन करने वाले व्यक्ति को उपायुक्त कार्यालय में प्रपत्र ‘ग’ में पूर्व सूचना देनी होगी जहां धर्मांतरण की योजना है। ऐसी घोषणाएं या सूचनाएं प्राप्त होने पर, उपायुक्त कार्यालय से एक रसीद जारी करके उनकी पावती देंगे, जिससे धर्मांतरण प्रक्रिया का औपचारिक दस्तावेजीकरण और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। तीस दिनों में दर्ज करानी होगी आपत्ति इसके अलावा, अधिनियम में यह प्रावधान है कि सूचना प्रदर्शित होने के 30 दिनों के भीतर, कोई भी व्यक्ति लिखित में आपत्ति दर्ज करा सकता है। ऐसी आपत्तियां प्राप्त होने पर नियमानुसार गहन सत्यापन और जांच करने का अधिकार है। यदि जांच के बाद पाया जाता है कि प्रस्तावित धर्मांतरण अधिनियम का उल्लंघन है, जैसे कि बल प्रयोग, धोखाधड़ी, जबरदस्ती या अन्य निषिद्ध साधनों का प्रयोग है तो एक विस्तृत और तर्कसंगत आदेश जारी करके धर्मांतरण की अनुमति देने से इनकार करने का अधिकार है। ये सब है गैर कानूनी डीसी ने कहा कि सरकार का उद्देश्य व्यक्तिगत धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करना नहीं है, बल्कि नागरिकों को धोखे, जबरदस्ती या गैरकानूनी प्रलोभन से बचाना है। उन्होंने बताया कि अधिनियम किसी भी व्यक्ति को गलत बयानी, बल प्रयोग, धमकी, अनुचित प्रभाव, प्रलोभन या कपटपूर्ण तरीकों (डिजिटल माध्यमों सहित) के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति का एक धर्म से दूसरे धर्म में धर्मांतरण करने या ऐसा करने का प्रयास करने से रोकता है। यह विवाह द्वारा या विवाह के लिए धर्मांतरण पर भी प्रतिबंध लगाता है। ये है सजा और जुर्माना का प्रावधान डीसी ने बताया कि गैरकानूनी धर्मांतरण के लिए एक से 5 साल की कैद और कम से कम एक लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है। अगर कोई व्यक्ति शादी करने के लिए अपना धर्म छुपाता है, तो उसे 3 से 10 साल की कैद और कम से कम 3 लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है। नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति या जनजाति के व्यक्ति का धर्मांतरण करने पर 4 से 10 साल की कैद और कम से कम 3 लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है। उल्लंघन पर विवाह होगा अमान्य सामूहिक धर्मांतरण, जिसे एक ही समय में दो से ज्यादा लोगों के धर्मांतरण के रूप में परिभाषित किया गया है, के लिए 5 से 10 साल की कैद और कम से कम 4 लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है। उन्होंने बताया कि अधिनियम में यह भी प्रावधान है कि शादी के लिए अपना धर्म छिपाने के प्रावधान का उल्लंघन करके किया गया कोई भी विवाह अमान्य माना जाएगा। ऐसे विवाह से पैदा हुआ कोई भी बच्चा वैध माना जाएगा और उसकी संपत्ति का उत्तराधिकार उसके माता-पिता के उत्तराधिकार कानूनों के अनुसार होगा।

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