Saturday, August 16, 2025

पानीपत में 22 करोड़ खर्च कर हॉली झील बनी जंगल:नहीं आया नहरी पानी और न ही चली किश्तियां, शराबियों का लगा रहता है जमावड़ा

पानीपत नगर निगम द्वारा शहर की जनता को सुविधाएं देने के लिए हॉली झील का फिर से निर्माण करवाया गया था, जिसमें निगम की ओर से 22 करोड़ रूपए की राशि खर्च की गई थी, परंतु निगम द्वारा ये रकम खर्च करने के बावजूद आज हॉली पार्क किसी जंगल और शराब पीने के अड्डे से कम नहीं है, क्योंकि निर्माण कार्य पूरा होने के बाद न ही पूरी तरह से हॉली झील की कभी सफाई हुई और न ही नहर का पानी झील को मिल पाया। 9 साल पहले फंड हुआ था जारी बता दें कि, अगस्त 2014 में हाली पार्क को विकसित करने लिए मॉडल तैयार करवाकर स्वीकृति ली गई थी। सरकार ने 22 करोड़ रुपए फंड भी जारी कर दिया था। दस साल पहले प्रसिद्ध शायर हॉली के नाम से बने पार्क को विकसित करने का काम शुरू किया गया, लेकिन यह कार्य पूरा नहीं हो पाया। उसके बाद नगर निगम ने बीच में फिर से कार्य शुरू करवाकर सभी सुविधाओं को पूरा कर दिया, लेकिन नहर का पानी झील तक फिर भी नहीं पहुंच पाया। जबकि चार साल पहले निगम ने दावा किया था कि जल्द शहरवासी पार्क में वोटिंग से अन्य मनोरंजन की सुविधाएं प्राप्त कर सकेंगे। मोटर लगाने के बाद भी नहीं पहुंचा पानी नगर निगम की ओर से सिंचाई विभाग से बातचीत कर झील में पानी लाने के लिए असंध रोड स्थित नहर पर पानी की मोटर भी लगवाई गई थी और नहर से लेकर हॉली झील तक पानी की पाइप लाइन भी डाली गई थी, लेकिन उस समय नहर में पानी कम होने के कारण पानी झील तक नहीं पहुंच पाया। उसके कुछ समय के पश्चात निगम ने फिर से प्रयास किया, लेकिन सिंचाई विभाग ने पानी की कमी होने के कारण मना कर दिया था। जिस पर अब दोबारा बातचीत कर कार्य किया जाना है। 20 दिसंबर 2014 को हुई थी घोषणा हॉली पार्क को विकसित करने के लिए 20 दिसंबर 2014 को पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने घोषणा की थी। इस योजना पर 23.69 करोड़ की लागत प्रस्तावित थी। प्रोजेक्ट गुड़गांव की कंपनी ने तैयार किया। 16 दिसंबर 2016 को योजना के लिए निदेशालय ने प्रशासकीय मंजूरी के साथ-साथ फंड रिलीज कर दिए थे। उसके बाद भी 9 साल बीत चुके हैं, अभी तक झील में पानी नहीं पहुंचा और जो तैयार किया, वो सब स्वाहा होने की तैयारी में है। 2024 में बनाई थी रखरखाव की योजना नगर निगम के पूर्व आयुक्त ने सभी अधिकारियों के साथ वर्ष 2024 में मौके का निरीक्षण कर अधिकारियों को इसके सुधार के आदेश दिए। जिस पर निगम ने नया प्रपोजल तैयार किया है। अधिकारियों का कहना था कि निगम की पास माली न होने की वजह से पार्क में पेड़ पौधों की देखभाल नहीं हो पा रही है। वहीं, सुरक्षा कर्मी न होने की वजह से पार्क में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। अब पार्क की संभाल भी हो सकेगी और असामाजिक तत्व भी घुस नहीं सकेंगे। निगम ने हरियाली और रखरखाव को लेकर नए सिरे से योजना बनाई थी। जिस पर 35 लाख रुपए खर्च होने थे, निगम की योजना अधर में लटक कर रही गई। जिससे आज झील की स्थिति जंगल जैसी हो गई है। पार्क में मिलनी थी ये सुविधाएं पार्क में ओपन एयर थिएटर बनाया गया। ओपन गार्ड जिम, बोटिंग राइडर, पार्किग, स्मृति वन, कैफे व बच्चों के खेलने की सुविधाओं पर काम तो किए गए, लेकिन योजना को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका। पार्क में साउंड म्यूजिक सिस्टम और सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने थे, बच्चों को सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति देने के लिए थिएटर तैयार किया और फव्वारे का सिस्टम भी लगाया गया। निगम ने डीपीआर की तैयार-एक्सईएन इस संबंध में नगर निगम एक्सईएन गोपाल कलावत ने कहा कि झील में नहरी पानी लाने के लिए सिंचाई विभाग से बातचीत चल रही है और डीपीआर तैयार की जा चुकी है। सोमवार को निरीक्षण कर समाधान कार्य शुरू करवाए जाएंगे।

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