विमेंस वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल में भारत ने साउथ अफ्रीका को 52 रन से हराकर इतिहास रच दिया। यह पहली बार है जब भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने वनडे वर्ल्ड कप जीता है। इस ऐतिहासिक जीत में रोहतक की रहने वाली शेफाली वर्मा ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने भारत के लिए सबसे ज्यादा 87 रनों की पारी खेली। साथ ही 2 विकेट भी झटके। शानदार परफॉर्मेंस के लिए उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया। उन्होंने खेल में साथ देने और मोटिवेट करने के लिए परिवार और भाई को धन्यवाद किया। शेफाली वर्मा विमेंस वर्ल्ड कप के शुरुआती सभी मैचों में नहीं खेल पाईं थीं, लेकिन प्रतिका रावल के अचानक बाहर हो जाने के बाद सेमीफाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्हें टीम में शामिल किया गया। इस मैच में शेफाली केवल 10 रन ही बना सकीं। शेफाली को क्रिकेट खेलने की प्रेरणा रोहतक में सचिन तेंदुलकर को देखकर मिली थी। जब उन्होंने लाहली स्टेडियम में सचिन को बल्लेबाजी करते देखा और भीड़ को 'सचिन-सचिन' चिल्लाते सुना, तभी उन्होंने क्रिकेटर बनने का फैसला कर लिया। उनके पिता संजीव वर्मा ने भी बेटी के इस सपने को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास किया। उन्होंने रोहतक की एक क्रिकेट एकेडमी में शेफाली का एडमिशन कराने की कोशिश की, लेकिन लड़की होने के कारण शेफाली को एडमिशन नहीं मिला। इसके बाद पिता ने शेफाली के बाल लड़कों की तरह कटवा दिए और खुद उन्हें क्रिकेट सिखाने लगे। 2019 में केवल 15 साल की उम्र में शेफाली ने इंटरनेशनल मैच में डेब्यू किया। 2023 में शेफाली की कप्तानी में ही भारत की अंडर-19 टीम ने महिला विश्व कप जीता। मां बोलीं- बेटी की पारी शतक से कम नहीं शेफाली की मां प्रवीण बाला ने कहा कि मेरी बेटी ने 87 रन बनाए हैं, मैं इसके लिए बेहद खुश हूं। बेटी का शतक पूरा नहीं होने पर मुझे कोई दुख नहीं है। शेफाली की ये पारी किसी शतक से कम नहीं है। जब शेफाली शॉट खेल रही थी तो हमने तालियां बजाकर खुशी मनाई। वहीं शेफाली वर्मा के कोच बिजेंद्र शर्मा ने कहा कि 87 रन बनाने से उन्हें बेहद खुशी है। मैंने हमेशा शेफाली को नेचुरल गेम खेलने के लिए प्रेरित किया है। शेफाली ने भारतीय टीम को एक अच्छी शुरुआत दी और टीम को प्रेशर से निकाला। अब जानिए कौन हैं शेफाली वर्मा और वह कैसे क्रिकेटर बनीं... रोहतक की MDU से ग्रेजुएशन कर रहीं शेफाली वर्मा का जन्म 28 जनवरी 2004 को रोहतक में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा की शुरुआत सेंट पॉल स्कूल से की, लेकिन वे 10वीं कक्षा में फेल हो गईं। इसके बाद उन्होंने मनदीप सीनियर सेकेंडरी स्कूल में दाखिला लिया और 10वीं कक्षा 52 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण की। 12वीं कक्षा में उन्होंने 80 प्रतिशत अंक हासिल किए। फिलहाल वह रोहतक स्थित महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी (MDU) से ग्रेजुएशन कर रही हैं। सचिन तेंदुलकर को देखकर क्रिकेटर बनने की ठानी शेफाली वर्मा 2013 रोहतक स्थित लाहली ग्राउंड पर रणजी ट्रॉफी का मैच देखने गई थीं। यहां सचिन तेंदुलकर बैटिंग करने आए। भीड़ में जब सचिन-सचिन चिल्लाना शुरू किया तो शेफाली ने क्रिकेटर बनने की ठान ली। शेफाली के पिता संजीव को जब अपनी बेटी में भी क्रिकेट के प्रति लगाव दिखा तो उन्हें घर पर ही ट्रेनिंग देना शुरू कर दी। एकेडमी में एडमिशन नहीं मिला, पिता ने बॉय कटिंग कराई पिता ने शेफाली का क्रिकेट एकेडमी में एडमिशन कराने की कोशिश की, लेकिन लड़की होने की वजह से उसे एडमिशन नहीं मिला। इसके बाद पिता ने शेफाली की बॉय कटिंग करा दी। बाद में शेफाली के स्कूल ने ही लड़कियों के लिए क्रिकेट टीम बनाने का निर्णय ले लिया। 12 साल की उम्र में शेफाली ने एकेडमी में प्रोफेशनली खेलना शुरू कर दिया। 15 साल की उम्र में इंटरनेशनल मैच में डेब्यू किया 15 वर्ष की आयु में ही, 2019 के टी-20 वर्ल्ड कप से पहले शैफाली वर्मा ने टीम इंडिया में जगह बनाई और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ इंटरनेशनल मैच में डेब्यू किया। शैफाली ने वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना पहला शतक भी जड़ा। ऐसा करने वाली वे पहली भारतीय महिला क्रिकेटर बन गईं और उन्होंने सचिन तेंदुलकर का 30 साल पुराना रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। जून 2021 में शेफाली वर्मा अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट (टेस्ट, वनडे और टी20) में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी बन गईं। 2023 में शेफाली की कप्तानी में ही भारत की अंडर 19 टीम विश्व कप जीती थी।
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