हरियाणा के नारनौल में जिला बार एसोसिएशन, नारनौल की ओर से अधिवक्ताओं के लिए एक विशेष कवि सम्मेलन का आयोजन सोमवार रात को ऑडिटोरियम हॉल, मिनी सचिवालय में हुआ। इस हास्य कवि सम्मेलन में विश्वविख्यात कवि सुरेंद्र शर्मा विशेष रूप से मौजूद रहे। उन्होंने अपनी रचनाओं से सभी को हंसने के लिए मजबूर कर दिया। बार एसोसिएशन नारनौल के प्रधान संतोख सिंह ने बताया कि इस विशिष्ट आयोजन का उद्देश्य अधिवक्ताओं के व्यस्त एवं चुनौतीपूर्ण जीवन में साहित्यिक ऊर्जा का संचार करना था। जिससे वे मानसिक तनाव से कुछ समय के लिए दूर होकर काव्य-रस में डूब सकें। यह आयोजन वकील समुदाय को एक नई साहित्यिक दिशा, उत्साह और आनंद देने का प्रयास है। समाज में फैली बुराइयों पर कसे व्यंग इस काव्य संध्या में देश के ख्यातिप्राप्त हास्य-व्यंग्य कवि सुरेंद्र शर्मा ने अपनी कविताओं के माध्यम से समाज में फैली बुराइयों पर भी व्यंग किए। उन्हाेंने कहा कि मैं बार का मतलब पहले कुछ ओर ही समझा था, मगर बाद में पता चला कि वकीलों की बार अलग होती है, उसमें वो नहीं होता, जो अन्य बार में होता है। बची हुई संपत्ति ही असली संपत्ति उन्होंने कहा कि वे यहां पर सबसे कम उम्र के व्यक्ति हैं, वो इसलिए कि मेरी अब उम्र कम बची है। मैं अपनी बची हुई उम्र की बात करता हूं। क्योंकि संपत्ति वही होती है, जो बची हुई होती है। खर्च की हुई संपत्ति नहीं होती। ऐसे ही मेरी उम्र खर्च की हुई नहीं, बल्कि बची हुई है। उन्होंने कहा कि बेवजह 90 साल तक जीने से कोई फायदा नहीं है। हरियाणा में कोई नहीं देता सीधा जवाब उन्होंने कहा कि हरियाणा का कोई आदमी सीधा जवाब नहीं देता। किसी से टाइम पूछ लो तो कहेंगे, के करेगा चढ़ेगा के। उन्होंने कहा कि हरियाणे के लड़के भी बड़े अजीब होते हैं। एक बार एक बाप ने बेटे से कहा कि अगर फेल हाे गया तो मुझे बाप मत बोलना, अगले दिन जब रिजल्ट आया तो उसने पूछा क्या रिजल्ट रहा तो बेटा कहता है, छोड़ न रामफल क्या करेगा पूछकर। उन्होंने कहा कि आजकल बेटे पढ़ाई लिखाई कर बाहर चले जाते हैं, दूर अमेरिका या विदेश रहने लगते हैं। माता-पिता के कुछ होने पर वे पहुंच भी नहीं पाते। इसलिए सुख पैसे कमाने में नहीं है। सुख तो बेटा साथ बैठकर रोटी खाए तो उसमें है। कवि सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि मैंने आज तक गंगा में स्नान नहीं किया है, क्योंकि वहां पर लोग पाप धोने आते हैं। मैं जब उसमें कहाऊं तो उसके पाप मेरे चिपट जाएंगे तो मैं क्या करुंगा। उन्होंने कहा कि आजकल ऐसे-ऐसे लोग साधु बने हुए हैं, जिनके पास करोड़ों रुपए की गाड़ियां होती हैं। ऐसे में उनका संत होने से कोई फायदा नहीं है।
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