Wednesday, July 16, 2025

करनाल में सरकारी दावे हवा यूरिया को तरसे किसान:नहीं मिल रहा खाद, बोले-यूरिया के साथ थमा दी जाती है बे मतलबी दवाइयां

करनाल में यूरिया को लेकर किसानों की परेशानी बढ़ती जा रही है। जहां एक ओर कृषि विभाग जिले में पर्याप्त यूरिया स्टॉक होने का दावा कर रहा है, वहीं दूसरी ओर किसानों को सोसाइटियों में खाद नहीं मिल रहा। खेतों में धान की बढ़वार के लिए इस समय यूरिया की सबसे अधिक जरूरत होती है, लेकिन किसान सरकारी दुकानों के चक्कर काट रहे हैं और खाली हाथ लौट रहे हैं। प्राइवेट दुकानदार यूरिया के साथ अनावश्यक दवाइयां जबरन थमा रहे हैं। इससे किसानों में गहरा आक्रोश है। सवाल ये उठ रहा है कि अगर स्टॉक है तो वो कहां है? और किसान दर-दर क्यों भटक रहा है। धान की बढ़वार के लिए जरूरी है यूरिया, लेकिन सोसाइटियों में नहीं मिल रहा किसान सेवा सिंह, निपूण, सुभाष, राजेंद्र, धर्मसिंह, भीम सिंह दादुपुर, नरसिंह मंजूरा, बलबीर सिंह गुढा, टेकचंद जैसे कई किसानों का कहना है कि धान की रोपाई के 15 दिन बाद और फिर हर सप्ताह यूरिया की जरूरत होती है। लेकिन न तो सोसाइटियों में यूरिया मिल रहा है और न ही निजी दुकानों पर बिना शर्त। किसान यूरिया के लिए दिनभर दुकानों के चक्कर काट रहे हैं। वे पूछ रहे हैं कि जब विभाग कह रहा है कि स्टॉक की कोई कमी नहीं है तो वह खाद पहुंच क्यों नहीं रही? प्राइवेट दुकानों पर जबरदस्ती दवाई बेची जा रही किसानों ने बताया कि कुछ प्राइवेट दुकानदारों ने यूरिया के साथ अन्य दवाइयां बेचनी शुरू कर दी हैं, जिनकी इस समय जरूरत ही नहीं है। मजबूरी में किसान या तो वे दवाइयां खरीदता है या यूरिया लेना ही छोड़ देता है। इससे किसानों की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है और उनका भरोसा सिस्टम पर से उठता जा रहा है। यूरिया का बंटवारा पारदर्शी हो किसानों का कहना है कि विभाग की कथनी और करनी में फर्क है। विभाग कहता है कि खाद की कोई कमी नहीं है, लेकिन उन्हें सोसाइटियों से खाली हाथ लौटना पड़ता है। उन्होंने मांग की है कि यूरिया का वितरण पारदर्शी ढंग से हो और सभी सोसाइटियों में पर्याप्त खाद भेजी जाए, ताकि किसानों को किसी प्रकार की परेशानी न हो। थोड़ी बहुत तो शोर्टेज बनी रहती वहीं घरौंडा के एक बीज विक्रेता हिमांशु ने भी माना कि यूरिया और डीएपी में थोड़ी बहुत शोर्टेज बनी रहती है। कुछ किसान खाद का पहले ही स्टॉक कर लेते है और जो छोटे किसान हाेते है, वह कही न कहीं खाद से वंचित रह जाते है, लेकिन अब कोई क्रिटिकल सिचुएशन नहीं है, खाद आता है उसके बाद किसान आते है और खाद ले जाते है। चूंकि अब लगभग 99 प्रतिशत बिजाई हो चुकी है, इसलिए इतनी ज्यादा कोई दिक्कत नहीं है। सरकार की आगे प्लानिंग चल रही है। स्टॉक भरपूर है, 75 हजार एमटी खाद आ चुकी है जिला कृषि अधिकारी वजीर सिंह का कहना है कि करनाल में खरीफ-2025 सीजन के लिए कुल 95 हजार मीट्रिक टन यूरिया की आवश्यकता थी, जिसमें से अब तक 75 हजार मीट्रिक टन खाद जिले में आ चुका है। विभाग का दावा है कि यह मात्रा जरूरत के हिसाब से पर्याप्त है। उन्होंने बताया कि इस बार पिछले साल के मुकाबले 5 हजार एमटी ज्यादा खाद आया है। 800 से ज्यादा वितरण केंद्र, हर दिन मिलता है डिस्ट्रीब्यूशन प्लान अधिकारी ने जानकारी दी कि जिले में कुल 800 वितरण केंद्र हैं, जिनमें सरकारी व प्राइवेट संस्थाएं शामिल हैं। कंपनियों से एक दिन पहले ही डिस्ट्रीब्यूशन प्लान मिलता है, जिसके आधार पर वितरण करवाया जाता है। मंगलवार को भी 2000 मीट्रिक टन यूरिया आया है, जिसे वितरित किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों से आग्रह है कि वे मापदंडों के अनुसार ही यूरिया का प्रयोग करें, ताकि खाद की बचत हो और पर्यावरण भी सुरक्षित रहे।

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