अमेरिकन ड्रीम पूरा करने के लिए डंकी रूट से जाने के चक्कर में हरियाणा के कैथल के रहने वाले एक युवक ने जान गंवा दी थी। जब वह अमेरिकी बॉर्डर के करीब ग्वाटेमाला तक पहुंच गया तो डोंकरों ने उसे गोली मार दी। डोंकर उससे और रुपयों की डिमांड कर रहे थे। अमेरिका से जबरन वापस भेजे गए 104 भारतीयों के बाद परिवार ने बेटे की डंकी रूट पर पड़ी लाश की VIDEO दिखाई। पिता और भाई ने कहा कि सोशल मीडिया से उन्हें पता चला कि उसकी हत्या कर दी गई। उसमें देखकर ही हमने उसकी पहचान की थी। उन्होंने डंकी रूट से अमेरिका गए युवकों से बात की तो पता चला कि रुपए न मिलने पर डोंकर ऐसे ही गोली मार देते हैं। पनामा के जंगल में पुलिस भी नहीं आती। ऐसे लोगों की लाश भी वहीं पड़ी-पड़ी कंकाल हो जाती है। एजेंट ने 40 लाख लिए, फिर डंकी रूट से भेज दिया दरअसल, मलकीत कैथल के गांव मटौर का रहने वाला था। मलकीत के पिता सतपाल बताते हैं कि वह किसान हैं। बेटे ने पॉलिटेक्निक पास की। वह अमेरिका जाकर नौकरी करना चाहता था। उसने एक एजेंट से मुलाकात की। एजेंट ने उसे कहा कि 40 लाख रुपए लगेंगे। वह उसे अमेरिका पहुंचा देगा। एजेंट ने 25 लाख एडवांस ले लिए। इसके बाद वैध तरीके के बजाय डंकी रूट से मलकीत को अमेरिका भेज दिया। भाई बोला– 15 दिन बाद ही संपर्क टूट गया मलकीत के भाई ने बताया कि 17 फरवरी 2023 को वह घर से निकला। शुरुआत में तो कुछ दिन उससे बातचीत होती रही। उसने बताया कि एजेंट ने उसे डंकी रूट से भेज दिया। मगर, 7 मार्च 2023 के बाद कोई संपर्क नहीं हुआ। हम बहुत कोशिश करते रहे लेकिन उससे बात ही नहीं हो सकी। सोशल मीडिया पर लाश दिखी तो पहचाना इसके बाद सोशल मीडिया पर वीडियो सामने आया। जिसमें एक युवक की लाश पड़ी हुई थी। यह लाश पनामा के जंगल (डेरियन गैप) वाले उसी डंकी रूट पर पड़ी थी, जिस पर मलकीत गया था। हमने वीडियो देखा तो उसमें जो लाश पड़ी थी, वह मलकीत की ही थी। एजेंट ने हमसे कुल 40 लाख ले लिए और बदले में हमें बेटे की लाश मिली। पिता सतपाल ने कहा कि जब एजेंट से बात की तो उसने चुप्पी ही साध ली। डंकी रूट की पूरी कहानी। आखिर इतनी मुसीबतें सहकर अमेरिका क्यों जाते हैं भारतीय… 'डंकी रूट' शब्द पंजाबी शब्द 'डंकी' यानी DUNKI से निकला है, जिसका मतलब है- एक जगह से दूसरी जगह जाना। भारत से अमेरिका की दूरी करीब 13,500 किलोमीटर है। हवाई रास्ते से अमेरिका जाने में 17 से 20 घंटे लगते हैं। हालांकि 'डंकी रूट' से यही दूरी 15,000 किलोमीटर तक हो जाती है और इस सफर में महीनों लग जाते हैं। ये सफर करने वालों को आम तौर पर 'डंकी' कह दिया जाता है। डंकी रूट से अमेरिका जाने के 2 रास्ते हैं… पहला रास्ता: -40 डिग्री की जानलेवा सर्दी में कनाडा से अमेरिका पहुंचना सबसे पहले डंकी को कनाडा के लिए टूरिस्ट वीजा अप्लाय करना होता है, जिससे भारत से कनाडा तक आसानी से पहुंचा जा सके। कनाडा के टोरंटो पहुंचने पर डंकी को एजेंट के कॉल के इंतजार में कई दिनों तक होटल में रुकना पड़ता है। एजेंट डंकी को टोरंटो से 2,100 किलोमीटर दूर मनितोबा प्रॉविंस तक लेकर जाता है। मनितोबा में सर्दी इतनी ज्यादा होती है कि आंखों से निकले आंसू पलकों पर ही जम जाते हैं। डंकी को मनितोबा से 1,834 किमी दूर एमरसन गांव पहुंचाया जाता है। यह गांव कनाडा और अमेरिका बॉर्डर पर है। यहां से डंकी -40 डिग्री की जानलेवा सर्दी में पैदल चलकर अमेरिका पहुंचते हैं। इस रास्ते में घुटनों तक बर्फ जमी होती है और दूर-दूर तक कोई इंसान नजर नहीं आता। डंकी 49वें पैरलल बॉर्डर पर पहुंचते हैं। दूसरा रास्ता: घने जंगलों और रेगिस्तान पार कर अमेरिका पहुंचना भारत में डंकी रूट का सबसे आम रास्ता रास्ता साउथ अमेरिका होते हुए अमेरिका पहुंचाता है, लेकिन इस रास्ते में घने जंगल, पहाड़, नदियां और रेगिस्तान पार करना होता है। इसके तीन पड़ाव हैं… 5 फरवरी 2025 को भारत वापस आए अवैध अप्रवासी हरजिंदर सिंह ने बताया कि 2020 में उनके ग्रुप ने 10 दिनों में पनामा के जंगल को पार किया था। 5 दिनों तक उन्हें खाने-पीने के लिए कुछ भी नहीं मिला। इस दौरान उन्हें रास्ते में करीब 40 शव मिले, जिनमें ज्यादातर कंकाल बन चुके थे। पनामा से नहीं जाने पर कोलंबिया नदी पार करते हैं डंकी अगर कोई डंकी पनामा जंगल से नहीं जाना चाहता तो उसे कोलंबिया से 150 किलोमीटर लंबी नदी पार करनी होती है। यहां से डंकी सेंट्रल अमेरिका के देश निकारागुआ के लिए नाव लेते हैं। नाव से सफर करने के बाद दूसरी नाव में ट्रांसफर होते हैं, जो मेक्सिको के लिए जाती है। इस नदी में बॉर्डर पुलिस पैट्रोलिंग तो करती ही है, नदी में खतरनाक जानवर भी जान लेने के लिए तैयार रहते हैं। इसके बाद डंकी ग्वाटेमाला पहुंचता है। ह्यूमन ट्रैफिकिंग यानी मानव तस्करी के लिए ग्वाटेमाला एक बड़ा कोऑर्डिनेशन सेंटर है। अमेरिकी बॉर्डर की ओर बढ़ते हुए यहां डंकी को दूसरे एजेंट को हैंडओवर किया जाता है। 2023 की बात है। पंजाब के गुरदासपुर का एक युवक गुरपाल सिंह (26) डंकी रूट से मेक्सिको तक पहुंच गया था, लेकिन उसे मेक्सिको में पुलिस ने देख लिया और रुकने के लिए कहा। जल्दबाजी में उसने एक बस पकड़ी और इस दौरान अपनी बहन को पंजाब फोन किया कि पुलिस ने उसे देख लिया है। इसी दौरान उस बस का एक्सीडेंट हो गया। स्पॉट पर ही उसकी मौत हो गई, लेकिन ये खबर मिलने में परिवार वालों को एक हफ्ता लग गया। उसकी लाश को गुरदासपुर के सांसद सनी देओल की मदद से भारत लाया गया। आखिर इतनी मुसीबतें सहकर अमेरिका क्यों जाते हैं भारतीय? भारतीय लोग बेहतर अवसर के लिए भारत से बाहर जाने का इरादा करते हैं, लेकिन कई लोग एजुकेशन की कमी या किसी अन्य वजह से लीगल तरीके से नहीं जा पाते। विदेश मामलों के जानकार और JNU के प्रोफेसर राजन कुमार बताते हैं कि भारतीय लोगों को अमीर बनने का झूठा सपना दिखाया जाता है कि अमेरिका जाकर वह कामयाब हो जाएंगे... प्रो. राजन कुमार के मुताबिक, भारतीय लोग डंकी रूट से जान जोखिम में डालकर अमेरिका पहुंच तो जाते हैं, लेकिन सालों तक डिटेंशन सेंटर में इंतजार के बाद कोर्ट में सुनवाई होती है। केस जीत भी गए तो 105 दिनों के लिए बर्तन धोने और झाड़ू लगाने जैसे काम करने होते हैं, ताकि वह गुजारा कर सकें। अमेरिका जाकर अमीर हो जाना इतना आसान नहीं है। 8-10 साल बाद भी ग्रीन कार्ड मिलने के चांस ज्यादा नहीं होते। ऐसे में डंकियों को वापस भारत भेज दिया जाता है या फिर सारी जिंदगी जेल में गुजारनी पड़ती है। फॉरेन एक्सपर्ट ए.के. पाशा के मुताबिक, कई लोग भारत में नौकरी नहीं मिलने की वजह से अमेरिका जाते हैं। कुछ मामलों में डंकियों को जॉब मिलती है, लेकिन यह आंकड़े बहुत कम हैं। भारत से अमेरिका जाने वाले ज्यादातर डंकी गुजरात और पंजाब से होते थे। अब हरियाणा भी इस लिस्ट में शामिल हो गया है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की सितंबर 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर 37.3% हरियाणा में है। यह देश की औसत बेरोजगारी दर से 4 गुना ज्यादा है। हरियाणा के ढाठरथ, मोरखी और कालवा जैसे गांव डंकी हब बन चुके हैं। खेत, घर और सोना बेचकर लोग रोजगार के लिए अमेरिका जाने का इंतजाम कर रहे हैं। सामाजिक बहिष्कार से बचने की कोशिश अमेरिकी बॉर्डर पर पकड़े जाने के दौरान सबसे ज्यादा लोग यह वजह बताते हैं। इनमें 4 तरह की सामाजिक प्रताड़ना शामिल है… 10 अक्टूबर 2022 की BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जालंधर के जसप्रीत सिंह को गे होने की वजह से घर से निकाल दिया गया। उन पर कई बार जानलेवा हमले हुए। इससे तंग आकर वे डंकी रूट के जरिए अमेरिका चले गए। यहां उन्हें रहने की अनुमति मिल गई। --------------------------- अमेरिका के अवैध प्रवासियों से जुड़ी अन्य खबरें पढ़ें अमेरिका जाने के डंकी रूट के VIDEO:कीचड़ से सने पैर, बारिश के बीच टेंट; डिपोर्ट किए हरियाणा के युवक ने बनाए थे अमेरिका की ओर से डिपोर्ट किए गए 104 भारतीयों में हरियाणा के करनाल का आकाश भी शामिल है। आकाश जिस डंकी रूट से अमेरिका पहुंचा, उसके 4 वीडियो सामने आए हैं। आकाश ने पनामा के जंगलों से गुजरते हुए यह वीडियो बनाकर परिवार को भेजे थे। पूरी खबर पढ़ें... भारतीयों के हाथ-पैर चेन से बांधकर प्लेन में चढ़ाया, VIDEO: वॉशरूम में निगरानी, खाने के लिए भी हाथ नहीं खोले; 40 घंटे इसी हाल में रहे अमेरिका से डिपोर्ट किए गए 104 भारतीयों को लेकर US मिलिट्री का C-17 प्लेन 5 फरवरी को पंजाब के अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरा। इन लोगों के पैर में चेन बांधी गई थी, जबकि हाथ भी बेड़ियों में जकड़े हुए थे। पूरी खबर पढ़ें...
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