कांग्रेस ने हरियाणा-पंजाब, चंडीगढ़ और हिमाचल समेत कई राज्यों के प्रभारी बदल दिए हैं। बीके हरिप्रसाद को हरियाणा और रजनी पाटिल को हिमाचल व चंडीगढ़ का प्रभारी लगाया गया है। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पंजाब से जनरल सेक्रेटरी लगाया गया है। पार्टी ने हरियाणा के प्रभारी दीपक बाबरिया की छुट्टी की है। हरियाणा में विधानसभा चुनाव के बीच उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। इसके बाद विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद उन्होंने प्रदेश प्रभारी के पद से इस्तीफे की पेशकश की थी, लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने उनका इस्तीफा नहीं लिया था। हाल ही में निकाय चुनाव में उन्होंने कांग्रेस की 4 संगठनात्मक सूची जारी कर कांग्रेस में गुटबाजी को रोकने का प्रयास किया था। कांग्रेस की तरफ से जारी की गई लिस्ट... हरियाणा में कांग्रेस ने 5 साल में 3 प्रभारी बदले, गुटबाजी नहीं रोक पाए हरियाणा में कांग्रेस ने 5 साल के अंतराल में अब तक 3 प्रभारी बदले हैं। 12 सितंबर 2020 को विवेक बंसल को प्रभारी लगाया था। 2023 में बंसल को हटाकर शक्ति सिंह गोहिल को हरियाणा का प्रभारी लगाया गया। वह 6 महीने ही प्रभारी रहे। इसके बाद कांग्रेस ने 9 जून 2023 को दीपक बाबरिया को प्रभारी बनाया। विवेक बंसल से पहले गुलाम नबी आजाद और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ हरियाणा के प्रभारी रह चुके हैं। कांग्रेस ने जितने भी प्रभारी लगाए हैं, वह आज तक हरियाणा में कांग्रेस की गुटबाजी को खत्म नहीं कर पाए। बीके हरिप्रसाद के सामने सबसे बड़ी चुनौती गुटबाजी को थामने की ही रहेगी। हरियाणा में गुटबाजी के कारण कांग्रेस अच्छे माहौल के बावजूद चुनाव हार गई थी। विवेक बंसल से लेकर दीपक बाबरिया को हरियाणा में काम करने का लंबा समय मिला। वह कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई में ही फंसे रहे। विवेक बंसल की अध्यक्षता में कांग्रेस लगातार 2 चुनाव हारी। पहला उपचुनाव ऐलनाबाद में कांग्रेस उम्मीदवार पवन बैनीवाल की जमानत जब्त हो गई। इसके बाद नवंबर 2022 में आदमपुर उपचुनाव में भी कांग्रेस की हार हुई। इसी तरह दीपक बाबरिया हरियाणा में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जितवा नहीं पाए थे। बाबरिया को हटाने के 3 मुख्य कारण 1. गुटबाजी : बाबरिया ने कांग्रेस की गुटबाजी को खत्म करने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन वह नेताओं के बीच दूरियों को कम नहीं कर पाए। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस हाईकमान के सामने नेताओं के बीच मतभेद खुलकर सामने आए। कांग्रेस में हुड्डा गुट पूरी तरह प्रभारी पर हावी दिखा। हरियाणा कांग्रेस के बाकी नेताओं ने इसकी आलोचना भी की, लेकिन बाबरिया बेबस नजर आए। वह सबको साथ लेकर नहीं चल पाए। 2. लोकसभा चुनाव में 5 सीटें हारी : कांग्रेस ने अच्छे माहौल के बावजूद लोकसभा में 10 में से 5 सीटें गंवा दी। हालांकि कांग्रेस ने पिछली बार से अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन कांग्रेस उन सीटों पर हार गई जहां उम्मीद थी। वहीं कांग्रेस ने टिकटों का बंटवारा सही तरीके से नहीं किया। प्रभारी पर आरोप लगाए गए कि हुड्डा के कहने पर लोकसभा के टिकट बांटे गए। इससे पार्टी में फूट पड़ी। किरण चौधरी भाजपा में आ गईं। 3. विधानसभा चुनाव में करारी हार : लोकसभा जैसा माहौल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कायम नहीं रख पाई। कांग्रेस 37 सीटें ही जीत पाई। नेताओं की गुटबाजी चुनाव प्रचार में भी सामने आई। प्रभारी चुनाव के बीच में ही बीमार हो गए। उनके बिना ही प्रचार करना पड़ा और कांग्रेस बिना कमान के लिए चुनाव में लड़ी और हार का सामना करना पड़ा। दीपक बाबरिया और हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष हुए थे आमने-सामने हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार के बाद दिल्ली में कांग्रेस की रिव्यू मीटिंग हुई। इसके बाद प्रभारी दीपक बाबरिया ने कबूल किया था कि टिकट वितरण में गलती हुई। उन्होंने 10 से 15 सीटों पर गलत कैंडिडेट उतारने की बात को स्वीकार किया। इसके बाद बाबरिया ने यहां तक कहा कि अगर सब मेरा दोष मान रहे हैं तो मैं अपनी जिम्मेदारी छोड़ने को तैयार हूं। मैंने तो अपना इस्तीफा भी भेज दिया था। बाबरिया ने यह भी दावा किया कि काउंटिंग के दिन मुझे सुबह ही मैसेज आए थे कि कुछ सीटों पर धांधली हो रही है। वे मैसेज मैंने प्रदेश अध्यक्ष उदयभान को भेज दिए थे। उदयभान ने कहा था- मेरे पास जो मैसेज आया, वह आधा अधूरा था बाबरिया के बयान पर उदयभान ने कहा है कि मुझे कोई मैसेज फॉरवर्ड नहीं किया गया। मेरे पास जो मैसेज आया, वह अधूरा था। उसमें आधा सच और आधा झूठ था। मुझे 9 अक्टूबर को दोपहर करीब 3 बजे कांग्रेस नेता जगदीश धनखड़ के फोन से मैसेज भेजा गया था। टिकट वितरण पर सवाल उठाना ठीक नहीं है। टिकट केंद्रीय चुनाव कमेटी ने बांटे थे। उसके फैसले पर सवाल उठाना सही नहीं है।
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