अमेरिका में सख्त हुई इमिग्रेशन पॉलिसी के चलते 104 भारतीयों को डिपोर्ट कर दिया गया, जिनमें करनाल, घरौंडा और नीलोखेड़ी के लोग भी शामिल हैं। 75 लाख रुपए लगाकर करनाल के कालराम गांव रहने वाला आकाश ने 26 जनवरी तो 45 लाख लगाकर घरौंडा निवासी अरूण पाल ने 25 जनवरी वहीं 1 करोड़ रुपए लगाकर नीलोखेड़ी निवासी परमजीत सिंह ने अपनी पत्नी व बच्चों के साथ 20 जनवरी को डंकी के रास्ते अमेरिका में एंट्री की थी। जहां पर बॉर्डर पार करते ही पुलिस ने सभी को अपनी हिरासत में लेकर कैंप में भेज दिया था। जहां पर अमेरिका सरकार ने बुधवार को नई इमिग्रेशन पॉलिसी के तहत जबरन डिपोर्ट कर अमेरिकी एयरफोर्स का विमान सी-17 ग्लोबमास्टर से अमृतसर में एयरफोर्स के एयरबेस पर उतरा। बुधवार देर रात को डिपोर्ट हुए आकाश व अन्य लोगों न परिवार के लोगों को संपर्क कर उन्हें घर लेकर जान के लिए अमृतसर बुलाया। जिसके बाद परिजन अपने बच्चों को लेने के लिए अमृतसर रवाना हो गए थे। 73 लाख खर्च किए और अमेरिका गया आकाश करनाल के कालरों गांव का आकाश 26 जनवरी को अमेरिका में पहुंच गया। उसके 10 दिन बाद ही वह डिपोर्ट कर दिया गया। परिवार ने 73 लाख रुपए खर्च किए थे। जिसमें उन्होंने आकाश के हिस्से की जमीन बेची थी और करीब 15 लाख का कर्ज भी उठाया था। परिवार ने सोचा था कि आकाश अमेरिका में सेटल हो गया तो कर्ज भी उतर जाएगा और जमीन भी वापिस बना लेंगे, लेकिन होनी को कुछ ओर ही मंजूर था। अमेरिका का राष्ट्रपति बदला और इमिग्रेशन पॉलिसी भी बदल गई। आज 104 भारतीयों को भारत डिपोर्ट कर दिया गया। आधा एकड़ जमीन बेची और अमेरिका गया अरुण आकाश की तरह ही घरौंडा का 24 वर्षीय अरुण पाल भी अपनी आधा एकड़ जमीन बेचकर अमेरिका गया था। 14 महीने पहले अमेरिका गया था और 25 जनवरी को अमेरिका में पहुंच गया था। अरुण ने करीब 45 लाख रुपए खर्च किए थे। उसके पिता मजदूरी करते है और भाई लिबर्टी में काम करता है। अरुण के पिता बताते है कि उनके बेटा अमेरिका जाकर डॉलर में कमाई करना चाहता था। वह चाहता था कि घर के हालात सुधरे। इसलिए जमीन बेची और कर्ज लेकर बेटे को अमेरिका भेज दिया था। वह 25 जनवरी को वह अमेरिका में पहुंच गया था। उसके बाद से हमें यह नहीं पता कि वह कहां पर है और कैसा है। हम उसको कॉल कर रहे है लेकिन कॉल भी नहीं लग रहा। बता रहे है कि वह अमेरिका से अमृतसर आ चुका है अब उसकी भी डिटेल नहीं है। हम उसे लेने भी जाए तो कहां पर जाए। कुछ समझ नहीं आ रहा है। भाई गौरव का कहना है कि हम चाहते है कि हमारा भाई घर सुरक्षित वापिस आ जाए। परिवार के साथ सेटल होना चाहता था परमजीत, ट्रंप के शपथ ग्रहण से दो दिन पहले पहुंचा था अमेरिका ऐसे ही नीलोखेड़ी के 45 वर्षीय परमजीत सिंह अपनी पत्नी ओमी देवी, अपने बेटे जतिन व बेटी काजल के साथ अमेरिका में डंकी के रास्ते गए थे। गांव हैबतपुर के सरपंच राजपाल बताते है कि परमजीत अपने परिवार के साथ कुरुक्षेत्र में रहता था। वह करीब 12 एकड़ का जमीदार है। उसकी बेटी अमेरिका में स्टडी वीजा पर गई हुई है। वह चाहता था कि वह अपने पूरे परिवार के साथ अमेरिका में सेटल हो जाए, इसलिए वह दो महीने पहले ही अपना कुरूक्षेत्र वाला मकान व प्लॉट बेचकर डंकी से अमेरिका चला गया था। बीती 19 जनवरी यानी ट्रंप के शपथ ग्रहण से दो दिन पहले अमेरिका में एंट्री कर गया था और वहां पर पुलिस ने इनको गिरफ्तार कर लिया था और कैंप में भेज दिया था। इनको कैंप से ही उसे डिपोर्ट कर दिया गया। अब यह परिवार हैबतपुर में आकर अपने पुश्तैनी मकान में ही रहेगा या फिर किसी रिश्तेदारी में अब इसका कुछ भी नहीं पता है और न ही परमजीत के परिवार से कोई संपर्क हो पा रहा है। हमने प्रशासनिक अधिकारियों से भी कॉन्टेक्ट किया था कि हमें उनकी डिटेल दे दी जाए ताकि हम उसे रिसीव कर सके, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो पाया। आकाश के डंकी रूट की कहानी, भाई की जुबानी... डंकी के रास्ते आकाश को अमेरिका भेजने के लिए 73 लाख रुपए खर्च किए गए थे। आकाश अप्रैल-2024 में घर से अमेरिका के लिए निकला था। करीब 10 महीने तक डंकी के रास्ते भटकते और चुनौतियों को पार करते हुए बीती 26 जनवरी को अमेरिका में एंटर हो चुका था। आज उसको 9 दिन हो चुके है। आकाश के भाई शुभम ने बताया कि मेरे पास लास्ट कॉल 26 जनवरी को ही आया था और लास्ट बात यही हुई थी कि भाई मैं अमेरिका में एंटर कर चुका हूं और पुलिस हमारी तरफ आ रही है। उसके बाद कोई बात नहीं हुई। दो एकड़ जमीन बेचकर भेजा था विदेश शुभम ने बताया कि उनके हिस्से दो से ढाई एकड़ जमीन आती है। वे चार भाई है और उनमें आकाश सबसे छोटा है। उसके हिस्से की भी जमीन बेची गई थी और करीब 15 लाख रुपए का कर्ज भी उठाया गया था। पानीपत के एक एजेंट के जरिए आकाश को अमेरिका भेजा गया था। वहां पर 65 लाख रुपए में डील हुई थी, लेकिन 8 लाख रुपए कभी किसी चीज के लिए और कभी किसी फॉर्मेलिटी के ले लिए गए। छोटा भाई बोला-भाई हमारा तो नाश हो गया शुभम ने बताया कि 5 फरवरी की शाम करीब साढ़े 7 बजे आकाश का कॉल आया था, उसने कहां कि मैं अमृतसर पहुंच चुका हूं और मुझे घरौंडा बस स्टैंड पर लेने के लिए आ जाना। इसके साथ ही उसकी बातों में गहरा दर्द था। उसके मुंह से एक ही बात निकली की भाई हमारा तो नाश हो गया। मैने उसका दिलासा दिया है और टेंशन न लेने की बात कही है। सोचा था कि अमेरिका में पैसे कमाकर जमीन वापिस बना लेंगे शुभम ने बताया कि आकाश हमेशा घर की तरक्की की बात करता था। उसे पता था कि अमेरिका में डंकी से जाना कोई आसान काम नहीं है। जोखिम भरा रास्ता है और कब पहुंचेंगे और कब नहीं, ये भी नहीं पता था। जब भी वह डंकी के रास्ते में कॉल करता था तो कठिनाइयों के बारे में बताता था। सबसे ज्यादा खतरा पनामा को पार करते हुए हुआ था। मैने भी सोचा था कि हमने उसको डंकी से भेजकर बहुत बड़ी गलती कर दी। छोटा भाई कहता था कि एक बार अमेरिका में सेटल हो गया तो सारे कर्ज भी उतर जाएंगे और जमीन भी वापिस खरीद लेंगे, लेकिन हमें नहीं पता था कि इतना पैसा खर्च करने और कर्ज में डूबने के बाद हमें डिपोर्ट मिलेगा। पिता की 2006 में हो गई थी मौत, मां की हालत गंभीर शुभम का कहना है कि उनके पिता की मौत 2006 में बीमारी के कारण हो गई थी। वही उनकी मां की तबीयत भी ठीक नहीं रहती है। जब से उन्होंने आकाश के डिपोर्ट होने की बात सुनी है, उसके बाद से ही तबीयत बिगड़ रही है। शुभम ने बताया कि अब पूरा परिवार कर्जे के नीचे दब चुका है। सरकार से अपील है कि सरकार कुछ राहत दे। और युवाओं से एक ही बात कहूंगा कि डंकी के रास्ते विदेश न जाए। गांव के सरपंच दीपेंद्र राणा ने बताया कि गांव से करीब 100 से ज्यादा युवा विदेशों में है। आज युवाओं का माइंड सेट है कि उन्हें विदेशों में जाना है। हालांकि डंकी से जाना बहुत ही ज्यादा खतरनाक है। अब शुभम के परिवार की हालत खराब हो चुकी है। अब जो था वो भी चला गया और परिवार कर्ज के नीचे डूब गया है। अब सरकार ही कुछ मदद करे।
from हरियाणा | दैनिक भास्कर https://ift.tt/7ep5BSw
Stay informed with our dynamic news channel, delivering breaking news, insightful analysis, and in-depth coverage of global events. We strive to keep you connected to the world, offering timely updates on politics, business, technology, culture, and more. Trust us to provide accurate, unbiased reporting, ensuring you stay ahead and well-informed. Welcome to a news channel that values truth, integrity, and your need to be in the know.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
हिसार में बागवानी इंटर क्रॉपिंग से 20 लाख की कमाई:सुरेंद्र को मिल चुके कई अवॉर्ड; अमरूद के साथ चीकू, मौसमी संग नींबू की पैदावार
हिसार जिले के दौलतपुर गांव के किसान सुरेंद्र श्योराण ने बागवानी में इंटर क्रॉपिंग यानी मिश्रित फसलों के जरिए नई मिसाल कायम की है। पारंपरिक ख...
-
हरियाणा के नूंह जिले के आईएमटी रोजकामेव के धीरदोका गांव में मुआवजे को लेकर पिछले 5 महीने से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे 9 गांवों के किसानों न...
-
हरियाणा में करनाल के शराब के डिफॉल्टर ठेकेदार 8 साल से सरकार का लगभग 44 करोड़ रुपए डकारे बैठे है और आज तक आबकारी एवं काराधान विभाग डिफॉल्टरो...
-
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी आज हरियाणा आ रहे हैं। राहुल के इस दौरे को सिर्फ एक राजनीतिक यात्रा नहीं, बल्कि कांग्रेस संगठन को 11 सा...
No comments:
Post a Comment