हरियाणा के सोनीपत तहसील में भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हो चुकी हैं। तहसील में रजिस्ट्रियों में नियमों की धज्जियां उड़ाकर स्टांप ड्यूटी में बड़े पैमाने पर हेराफेरी की जा रही है। जमीन और संपत्तियों की रजिस्ट्रियों में हेरफेर कर सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व नुकसान पहुँचाया जा रहा है। इस मामले की गूंज सरकार तक पहुंच चुकी है, लेकिन अब तक किसी ठोस कार्रवाई के संकेत नहीं मिले हैं। सोनीपत तहसील में सरकारी नियमों को ताक पर रखकर कई तरह से स्टांप चोरी की जा रही है। कैसे हो रही है चोरी, सिलसिलेवार पढ़िए ... तहसील में रिश्वत का वजन ज्यादा होता है तो कोई भी काम असंभव नहीं है। 7-ए के तहत आने वाली जमीनों की रजिस्ट्रियाें में दस्तावेजों की कमी होती है, उन लोगों को पहले चक्कर कटवाए जाते हैं, फिर अंदरखाते सुविधा शुल्क लेकर नियम विरुद्ध रजिस्ट्री कर दी जाती हैं। 1. कम स्टांप शुल्क पर महंगी संपत्ति की रजिस्ट्री नियमों के अनुसार, संपत्ति की रजिस्ट्री के लिए बाजार मूल्य के आधार पर स्टांप शुल्क अदा करना आवश्यक होता है। लेकिन भ्रष्टाचारियों ने 100 रुपए का स्टांप लगाकर 6.5 करोड़ रुपये मूल्य की कॉमर्शियल प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री करवा दी। इस घोटाले में सरकार को करीब 50 लाख रुपए के स्टांप शुल्क का नुकसान हुआ। इस गड़बड़ी में गुरुग्राम के नायब तहसीलदार का नाम सामने आया, जिस पर गाज गिरी, लेकिन घोटाले में शामिल अन्य अधिकारी अब भी बचते नजर आ रहे हैं। 2. बेनामी संपत्तियों की रजिस्ट्री कई मामलों में उन संपत्तियों की रजिस्ट्रियां की गई हैं, जिनके असली मालिक सामने नहीं हैं। बेनामी संपत्तियों की खरीद-फरोख्त कर टैक्स और स्टांप शुल्क की चोरी की जा रही है। 3. सेल डीड को समझौता पत्र में बदलकर चोरी जब कोई व्यक्ति संपत्ति खरीदता है, तो उसे स्टांप शुल्क भरकर सेल डीड करवानी होती है।लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत से सेल डीड की बजाय समझौता पत्र बनाया जा रहा है, जिससे सरकार को लाखों रुपए के स्टांप शुल्क की नुकसान हो रही है। गांव रेवली, बड़वासनी और सोनीपत के पट्टी जाटान में तीन बड़ी रजिस्ट्रियों में यह गड़बड़ी सामने आई, जिससे सरकार को 30 लाख रुपए का नुकसान हुआ। 4. गिफ्ट डीड में हेरफेर गिफ्ट डीड में नियमों के तहत स्टांप शुल्क लगाया जाता है, लेकिन भ्रष्टाचारियों ने इसे जीरो दिखाकर करोड़ों की हेराफेरी की। एक बड़ी कंपनी ने करोड़ों की गिफ्ट डीड कराई, लेकिन बाद में स्टांप ड्यूटी का रिफंड ले लिया। इसमें 10 लाख रुपए की हेराफेरी हुई और 5 लाख रुपए रिश्वत के तौर पर दिए गए। 5. कन्वेंस डीड के नियमों का उल्लंघन नियम के अनुसार, किसी संपत्ति की पहली बिक्री पर ही कन्वेंस डीड बनाई जा सकती है, लेकिन अधिकारी और डीड राइटर एक ही संपत्ति की दो-दो बार कन्वेंस डीड कर राजस्व को नुकसान पहुंचा रहे हैं। कैसे चलता है पूरा खेल... इस भ्रष्टाचार की जड़ें तहसील परिसर में फैली हुई हैं। बिना लाइसेंस काम कर रहे डीड राइटर और स्टांप वेंडर अधिकारियों की मिलीभगत से लोगों को गुमराह कर रहे हैं।तहसील में रोजाना 200 टोकन कटते हैं, जिसमें से तहसीलदार और नायब तहसीलदार के 100, एसडीएम के 50 और डीआरओ के 50 टोकन होते हैं। 100 के करीब रजिस्ट्रियां रोजाना होती हैं अवैध तरीके से रजिस्ट्रियां कराने वालों से मोटी रकम वसूली जाती है। जिन दस्तावेजों में कमी होती है, उनसे पहले तहसील के चक्कर कटवाए जाते हैं और फिर अंदरखाते रिश्वत लेकर रजिस्ट्री कर दी जाती है। मंत्री के दरबार में उठा मामला, फिर भी जांच अधूरी यह मामला सरकार के संज्ञान में आ चुका है। हाल ही में खेल मंत्री गौरव गौतम ने एक ग्रीवेंस कमेटी की बैठक में इस भ्रष्टाचार पर नाराजगी जताई थी। बैठक में कुछ लोगों ने तहसील में चल रही सेटिंग बाजी की शिकायत की।मंत्री ने अधिकारियों से जवाब तलब किया और जांच के आदेश दिए। कुछ अवैध डीड राइटर और स्टांप वेंडरों के खिलाफ कार्रवाई भी हुई, लेकिन भेदभाव के आरोप लगने के बाद मामला कोर्ट में चला गया। जांच के आदेश के बावजूद अभी तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। मामले में मंत्री विपुल गोयल और डीसी मनोज कुमार बोले सोनीपत के डीसी डॉ. मनोज कुमार का कहना है कि रजिस्ट्रियों में अनियमितताओं के कुछ मामले मेरे संज्ञान में आए हैं। जांच कराई जाएगी, जो भी दोषी पाया जाएगा, उस पर सख्त कार्रवाई होगी। हरियाणा के राजस्व मंत्री विपुल गोयल ने भी इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, सरकार को राजस्व का नुकसान पहुंचाने वाले अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा। विधानसभा सत्र के बाद इन मामलों से संबंधित दस्तावेज मंगवाकर सख्त कार्रवाई होगी। भले ही सरकार और प्रशासन जांच का दावा कर रहे हों, लेकिन अब तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है। तहसील में बैठे भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी अभी भी स्टांप शुल्क की चोरी और बेनामी संपत्तियों की रजिस्ट्रियां करने में लगे हैं। जब तक पूरे सिस्टम में पारदर्शिता नहीं लाई जाती और दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होती, तब तक ऐसे घोटाले चलते रहेंगे और सरकार को राजस्व का नुकसान होता रहेगा। सोनीपत तहसील का यह घोटाला हरियाणा के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है।
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