हरियाणा विधानसभा चुनाव में सबका फोकस 21 फीसदी दलित वोटरों पर है। भाजपा से लेकर कांग्रेस, इनेलो-बसपा और जेजेपी-आसपा ने दलित मतदाताओं को रिझाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा है। कई चुनावी रैलियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को दलित विरोधी बताया है। उन्होंने गोहाना-मिर्चपुर कांड के जरिए कांग्रेस को घेरने का प्रयास किया है। वहीं राहुल गांधी कई बार खुद को और अपनी पार्टी को दलितों का पक्षधर बताते रहे हैं। वह लगातार जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाकर दलितों और पिछड़ों को न्याय दिलाने की बात कहते हैं और भाजपा पर आरोप लगाते हैं कि वह दलितों और पिछड़ों को समान अवसर नहीं देती है। इस बीच वोटिंग से एक दिन पहले कांग्रेस में दलित चेहरा एवं पूर्व सांसद अशोक तंवर की एंट्री हुई है। उनका 9 सीटों पर असर है। इनमें सिरसा, फतेहाबाद, ऐलनाबाद, रानियां, कालांवाली, डबवाली, रतिया, टोहाना और नरवाना शामिल हैं। ये सभी सीटें सिरसा लोकसभा सीट के अंतर्गत आती हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, हरियाणा की आबादी में दलितों की हिस्सेदारी 20.2% है। इनके उम्मीदवारों के लिए प्रदेश में 17 विधानसभा सीटें आरक्षित हैं। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में SC आबादी शहरी क्षेत्रों में 15.8% की तुलना में 22.5% अधिक है। इन्हें ही लुभाने में पार्टियों ने पूरा चुनाव प्रचार बिता दिया है। चुनाव में दलितों की चर्चा की 2 वजहें... 1. BJP लोकसभा में दोनों रिजर्व सीट हार गई थी हरियाणा में लोकसभा की 10 सीटें हैं। इनमें 2 सीटें रिजर्व हैं। इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ये दोनों सीटें हार गई। सिरसा में कांग्रेस की कुमारी सैलजा ने भाजपा के अशोक तंवर को 2 लाख 68 हजार 497 वोटों से हरा दिया। वहीं, अंबाला में भाजपा की बंतो कटारिया को कांग्रेस के उम्मीदवार रहे वरूण चौधरी ने 49 हजार 36 वोटों से हराया। 2. कांग्रेस ने 17 में से 11 हलकों मे बढ़त बनाई 90 विधानसभा सीटों में से 17 SC वर्ग के लिए रिजर्व हैं। विधानसभा चुनाव से पहले इसी साल हुए लोकसभा चुनाव के रिजल्ट को यदि विधानसभा वाइज देखें तो इन 17 में भाजपा सिर्फ 4 ही जीत सकी। 11 पर कांग्रेस जीती तो 2 पर आम आदमी पार्टी (AAP) ने भाजपा से बढ़त बनाकर चौंका दिया था। 3. किस पार्टी को कितना वोट शेयर मिला था मई में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को 46.06% वोट शेयर मिला। जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में यह वोट शेयर 58% था। 5 साल में वोट परसेंट में 11.06% की गिरावट रही। वहीं, कांग्रेस का वोट शेयर 2019 में 28.42% के मुकाबले बढ़कर 43.73% हो गया। 5 साल में कांग्रेस का वोट शेयर 15.31% बढ़ा। कौन पार्टी दलितों को रिझाने के लिए क्या कर रही... घोषणा पत्र में समीकरण साधा BJP ने अपने संकल्प पत्र में पिछड़े समाज की जातियों यानी 36 बिरादरियों के लिए पर्याप्त बजट के साथ अलग-अलग कल्याण बोर्ड बनाए जाने की घोषणा की है। इसके अलावा भारत के किसी भी सरकारी कॉलेज से मेडिकल, इंजीनियरिंग पढ़ने वाले OBC और SC जातियों के हरियाणा के छात्रों को पूरा वजीफा, सभी OBC वर्ग के उद्यमियों को मुद्रा योजना के अलावा 25 लाख रुपए तक के लोन की गारंटी दी है। इसके अलावा 100-100 गज के प्लॉट और क्रीमी लेयर ओबीसी के आरक्षण को 8 लाख से 10 लाख करेगी। वहीं, कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में हर गरीब परिवार को 100-100 गज का फ्री प्लॉट, 2 कमरों का मकान बनाने के लिए 3.5 लाख रुपए देने का वादा किया है। SC वर्ग को विभिन्न योजनाओं के लाभ की 1.80 लाख की आय सीमा को बढ़ाने और OBC में क्रीमी लेयर की सीमा 6 लाख से बढ़ाकर 10 लाख करने को कहा। इसके अलावा जातिगत सर्वे कराने, पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग, हरियाणा माटी कला बोर्ड, हरियाणा केश कला बोर्ड, हरियाणा सिलाई कढ़ाई (दर्जी) वेलफेयर बोर्ड का गठन-पुनर्गठन करने की बात कही। क्षेत्रीय दलों ने दलित कैडर बेस्ड पार्टियों से किया गठबंधन हरियाणा के क्षेत्रीय दल JJP और INLD ने ASP और BSP से गठबंधन किया है। इन दोनों पार्टियों को इस बार बड़ी चुनौतियां मिल रही है। INLD और बसपा के प्रत्याशियों के लिए खुद बसपा प्रमुख मायावती 4 रैलियां कर चुकी हैं। वहीं, ASP प्रमुख चंद्रशेखर आजाद खुद पूर्व डिप्टी CM दुष्यंत चौटाला के साथ प्रचार की कमान संभाले हुए हैं। किस पार्टी की क्या तैयारी... BJP का रिजर्व सीटों पर फोकस भाजपा 17 रिजर्व सीटों पर विशेष फोकस कर रही है। इसके लिए पार्टी की ओर से जिला और विधानसभा स्तर पर सम्मेलन किए जा चुके हैं। इसकी अगुआई केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर की टीम कर रही है। उनके करीबी चीफ मीडिया कोऑर्डिनेट सुदेश कटारिया को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है। कटारिया खुद भी दलित वर्ग से ही संबंधित हैं। उनकी अगुआई में खट्टर की टीम को दलितों के प्रभाव वाली सीटों पर काम करने का टास्क दिया गया है। कुरुक्षेत्र के दलित महासम्मेलन में खट्टर पिछड़े वर्ग से जुड़ी महिलाओं से संकल्प का लोटा भी ले चुके हैं। भाजपा ने इस मुहिम को 'मनोहर लाल का परिवार' नाम दिया। इसे चुनाव में भी भुनाया जाएगा। कांग्रेस ने उठाया था आरक्षण खत्म करने का मुद्दा लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस दलितों को यह समझाने में कामयाब रही कि सरकार संविधान से छेड़छाड़ कर आरक्षण खत्म कर देगी। इसका लाभ कांग्रेस को मिला। इसलिए, इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा आरंभ से ही दलितों के मुद्दे पर कांग्रेस पर हमलावर है। भाजपा ने बड़े ही योजनाबद्ध तरीके से कांग्रेस की वरिष्ठ दलित नेता कुमारी सैलजा की कांग्रेस पार्टी से नाराजगी को मुद्दा बनाया है। कई दिनों तक यह प्रचार भी हुआ कि सैलजा भाजपा में शामिल होंगी। हालांकि, कांग्रेस ने सैलजा की नाराजगी दूर कर लेने का दावा किया है, लेकिन भाजपा को इस मुद्दे पर राजनीतिक लाभ मिला है।
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