Monday, September 29, 2025

कैथल में धान की फसल में बीमारियों का डर:समय से पहले फसल काट रहे किसान, मंडियों में कर रहे बिक्री का इंतजार

कैथल की अनाज मंडियों में धान की आवक पूरे जोरों पर है। अब तक मंडी में करीब 2 लाख क्विंटल धान पहुंच चुका है, लेकिन नमी की अधिकता के कारण किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान बेचने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। फसल मंडी में आने के साथ बिक नहीं रही है। फसलों के खराब होने का डर इसका सबसे बड़ा कारण इस बार धान की फसल में बोना पौधा, हल्दीघाट व डोडा जैसी बीमारियां बताया जा रहा है। इससे फसल को बचाने के चक्कर में किसान अपनी धान की फसल को समय से पहले काट रहे हैं। अन्यथा फसल जमीन पर गिरने और दाने खराब होने का खतरा है, जिससे भारी नुकसान हो सकता है। सरकारी खरीद के लिए एमएसपी 2379 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित है, लेकिन इसके लिए धान में नमी की मात्रा 17% से अधिक नहीं होनी चाहिए। फसल में 25 प्रतिशत तक नमी हालांकि किसानों के धान में नमी का स्तर 20 से 25% तक पहुंच रहा है, जिसके चलते उनकी फसल एमएसपी पर नहीं बिक पा रही। ऐसे में किसानों को कई-कई दिन मंडियों में फसल बिक्री का इंतजार करना पड़ रहा है। इसके साथ ही इस बार प्रति एकड़ पैदावार भी कम हुई है, जिससे किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। नमी मात्रा की सीमा बढ़ाई जाए किसान रमेश ने बताया कि बीमारियों के कारण पहले ही उनकी फसल प्रभावित हुई है, और अब कम कीमत मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो रही है। दूसरा फसल में नमी होने के कारण उनको मंडियों में बिक्री का इंतजार करना पड़ रहा है। सरकार चाहे तो नमी की सीमा बढ़ाकर और अन्य राहत उपायों के जरिए उनकी मदद कर सकती है। नमी के कारण नहीं हो पा रही खरीद : मार्केट कमेटी सचिव कैथल मार्केट कमेटी सचिव नरेंद्र ढुल ने बताया कि नमी की मात्रा अधिक होने के कारण फसल की खरीद नहीं हो रही। जो फसल सूखी है, उसको तुरंत खरीदा जा रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से निर्धारित नमी मात्रा की फसल खरीदी जा रही है। उन्होंने किसानों से अपील की कि फसल को पूरी तरह सुखाने के बाद ही मंडी में लाएं, ताकि बिक्री का इंतजार न करना पड़े।

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