वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2025 के 57 किलोग्राम भारवर्ग में गोल्ड मेडल जीतने वाली भिवानी की रहने वाली जैस्मिन लंबोरिया ने दैनिक भास्कर से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने अपने वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप और बॉक्सिंग करियर के अनुभव को साझा किया। जब जैस्मिन ने पोलैंड की ओलिंपिक में सिल्वर मेडलिस्ट बॉक्सर को हराया तो वह उसके एक भावुक पल था। वे बिना प्रेशर के रिंग में उतरी और जीत हासिल की। जैस्मिन ने बताया कि जब वह शुरुआत में बॉक्सिंग करती थी तो उनका शरीर दुबला-पतला था। इसलिए लोग उसके शरीर को देखकर कहते थे कि तू भी बॉक्सर है। लेकिन उन्होंने इस तरह की बातों को अपने खेल में रोड़ा नहीं बनने दिया। करीब 9-10 साल के अभ्यास के बाद वे वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर लाई हैं। इसके अलावा, उनका सपना ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतना है। पोलैंड की जूलिया स्जेरेमेटा को 4-1 से हराया इंग्लैंड के लिवरपुल में आयोजित वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में जैस्मिन लंबोरिया ने 57 किलोग्राम भारवर्ग में खेलते हुए फाइनल मुकाबले में पोलैंड की जूलिया स्जेरेमेटा को 4-1 से हराया। इससे पहले भी बॉक्सर जैस्मिन लंबोरिया ने कई अंतर्राष्ट्रीय खेलों में पदक जीते हैं। 57 किलोग्राम भार वर्ग में प्रतिस्पर्धा करने वाली जैस्मिन ने पेरिस 2024 ओलिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। 2022 राष्ट्रमंडल खेल में कांस्य पदक जीता। वहीं उन्होंने 2021 एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य पदक हासिल किया। वहीं 2025 के वर्ल्ड बॉक्सिंग कप में गोल्ड मेडल जीता था। पिता होमगार्ड- मां ग्रहणी जैस्मिन के पिता जयवीर लंबोरिया होमगार्ड हैं और उनकी माता जोगिंद्र कौर ग्रहणी हैं। जयवीर लंबोरिया के 4 बच्चे हैं, तीन बड़ी बेटी और एक छोटा बेटा। जैस्मिन लंबोरिया तीसरे नंबर की है। जैस्मिन घर की पहली लड़की हैं, जो बॉक्सिंग कर रही हैं। वहीं जैस्मिन फिलहाल फिजिकल एजुकेशन में पीजी डिप्लोमा भी कर रही हैं। वहीं 2021 में जैस्मिन ने खेल कोटे से आर्मी को ज्वाइन किया था। वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल विजेता जैस्मिन लंबोरिया से बातचीत पत्रकार : गोल्ड मेडल जीतकर कैसा महसूस किया? जैस्मिन लंबोरिया : मेरे को काफी अच्छा लग रहा है कि 57 किलोग्राम भारवर्ग में इंडिया को गोल्ड मेडल दिलाया है। काफी खुशी हो रही है। एक सपना था वर्ल्ड चैंपियन बनने का वह पूरा हुआ है। पत्रकार : फाइनल बाउट का कैसा अनुभव रहा और किन रणनीति के तहत रिंग में उतरी? जैस्मिन लंबोरिया : फाइनल बाउट में मेरा मुकाबला पोलैंड की ओलिंपिक में सिल्वर मेडलिस्ट के साथ था। लेकिन यही था कि हम फाइनल में पहुंच चुके थे। खोने को कुछ नहीं था, केवल पाने के लिए ही था। अगर मैं प्रेशर लेती कि वह मेडलिस्ट है तो शायद कहीं ना कहीं मेरे गेम पर इफेक्ट आता। मैंने इतना प्रेशर आने ही नहीं दिया। मैंने अपना गेम खेलना था। 9 मिनट रिंग पर निकालना है, रिजल्ट चाहे कुछ भी हो। उसके चलते मेरा नेच्यूरल गेम भी बाहर निकलकर आया। कोई प्रेशर नहीं था, बिल्कुल फोकस था। बाउट राउंड के हिसाब से कंट्रोल में आती रही और फिर हम जीत गए। पत्रकार : जब आपके जीतने की घोषणा की तो कैसा महसूस कर रही थी? जैस्मिन लंबोरिया : तब बहुत ही ज्यादा खुशी थी। एक दम जब हाथ ऊपर उठाया तो थोड़ा इमोशनल भी थी, और थोड़ा सा यह भी था कि मैंने इंडिया के लिए कर दिया है। पत्रकार : बॉक्सिंग की कब शुरुआत की थी? जैस्मिन लंबोरिया : मैने बॉक्सिंग की शुरुआत 2016 में की थी। बचपन से ही हमारे अंकल एवं कोच संदीप लंबोरिया और प्रमेंद्र लंबोरिया उनको हम देखते आ रहे थे। उनके घर पर मेडल हैं, उनको देखते थे। उनके बॉक्सिंग के सामान देखते थे और सुनते थे कि उनकी बाउट होती थी। वह सब था और बैकग्राउंड खेल से संबंधित रहा है। 2016 में उन्होंने ही पूछा कि तुम कोई गेम करना चाहती हो। इस पर उसने हामी भर दी और कहा कि हां मेरे को गेम करना है। क्योंकि पहले से थोड़ा इंटरेस्ट था। फिर उन्होंने बोला कि बॉक्सिंग जरूरी नहीं है, जो आपका मन करे, वह गेम करो। फिर मैंने कहा कि बॉक्सिंग ही करनी है। फिर यह सफर शुरू हो गया। पत्रकार : यहां तक का सफर कैसा रहा। क्या-क्या दिक्कतें आई? जैस्मिन लंबोरिया : खिलाड़ी की लाइफ में स्ट्रगल रहता है, वह उतार चढ़ाव से भरा रहता है। यह रही कि स्टार्टिंग में भी सब कुछ अच्छा था और बाद में भी अच्छा है। उतार-चढ़ाव आते रहते हैं और सीखने को लेसन मिलते रहते हैं। शुरुआत में फाइनेंशियल भी इतना अच्छा नहीं था। थोड़ा डाइट में भी बेसिक कोच ने साथ दिया। हेल्थ से रिलेटेड इश्यू भी रहते थे। कोई भी देखकर बोलता था कि तूम भी बॉक्सिंग करती हो। वो चीजें भी कहीं ना कहीं दिमाग में रहती थी कि पतली हैं। लेकिन अब वह चीज नहीं हैं। कई बार ऐसा भी हुआ है कि हम बिना मेडल के भी वापस आए। जब उम्मीद थी कि हम यहां से गोल्ड लेंगे तो वहां से भी बिना मेडल वापस आए हैं। सबसे ज्यादा तो एशियन गेम्स का था कि वहां पर कोटा भी ले सकते थे और इंडिया के लिए मेडल सुरक्षित कर सकते थे। वहां से भी खाली हाथ आना पड़ा। उसने भी सीखने को मिला और कहीं-ना-कहीं आज वे काम आ रहे हैं। आगे भी यही काम रहेगा कि जो उतार-चढ़ाव आएंगे, उनमें कहीं भी नहीं रुकूं। मैं लगातार चलती रहूं। पत्रकार : कहीं-ना-कहीं आर्थिक कमजोरी और दुबले-पतले होने का लोगों ने जो मजाक बनाया उससे भी मोटिवेट हुए क्या? जैस्मिन लंबोरिया : स्टार्टिंग में यह था कि हम इंडिया के लिए मेडल लेकर आएं। साथ यह भी था कि घर की स्थिति भी ठीक होगी। मेरे पर पूरा ट्रस्ट किया था मेरी फैमिली को कि आप खुलकर खेलों। वह ट्रस्ट कहीं-ना-कहीं काम आया। एक लड़की कोई सपना देखती है तो फैमिली का स्पॉट जरूर चाहिए होता है। पूरी फैमिली का स्पॉट रहा, यहां तक बोला जाता है कि तू बस खेल, बाकी छोड़ दे। पत्रकार : आगे क्या लक्ष्य हैं, उसको हासिल करने के लिए क्या रणनीति रहेगी? जैस्मिन लंबोरिया : अभी वैसे तो 2028 का ओलिंपिक है। वहां से गोल्ड लाने का लक्ष्य है। उससे पहले 2026 में भी एशियन गेम और कॉमनवेल्थ गेम आएंगे। उसको भी टारगेट में लेकर चलूंगी। पत्रकार : दूसरी बेटियों को क्या संदेश देंगी, जो खेलों में भविष्य देख रही हैं? जैस्मिन लंबोरिया : मैं यह कहना चाहूंगी की खेल सेल्फ डिफेंस के लिए भी बहुत अच्छी तरह से माना जाता है। दूसरा पर्सनल ग्रोथ होती है। साथ ही जो स्ट्रगल रहते हैं, उससे सीखने को मिलता है। इसलिए गेम करिए और पूरी ईमानदारी के साथ करिए। सपने देखना गलत बात नहीं होती, उसमें पूरी फैमिली का स्पॉट होना जरूरी होता है। पत्रकार : जैस्मिन का क्या सपना है? जैस्मिन लंबोरिया : मेरा सपना है कि मैं इंडिया के लिए ओलिंपिक में गोल्ड लेकर आऊं। जैस्मिन लंबोरिया के कोच संदीप लंबोरिया से बातचीत पत्रकार : जैस्मिन कैसे खेलती है? संदीप लंबोरिया : जैस्मिन बहुत अच्छा खेलती है, तभी आज वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल लेकर आई है। ओलिंपिक की वेट कैटेगरी में गोल्ड मेडल लिया है, तो उम्मीद कर सकते हैं कि 2028 के ओलिंपिक में मेडल की पूरी दावेदार है। हमें इस पर पूरा विश्वास है। कई बार इसने हार का भी सामना किया है और बिना मेडल के भी घर आई है। मैंने इसे कभी टूटने नहीं दिया। हमेशा इसकी मजबूती बनाई और इस पर विश्वास दिखाया है। जाहिर सी बात है कि बहुत खुशी हो रही है। यह ओलिंपिक में भी वह मेडल इंडिया को देने जा रही है, जो किसी भी खिलाड़ी ने नहीं दिया है। पत्रकार : जैस्मिन को ओलिंपिक के लिए तैयार करने के लिए क्या खास कदम उठाएंगे? संदीप लंबोरिया : केवल ओलिंपिक ही नहीं कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स हुए, जब भी कहीं टूर्नामेंट में खेलने गई है, तो मैं इसकी प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ियों की बाउट को देखता हूं। इसको फोन या अन्य तरीके से समझाता हूं। उस पर काम करके इंप्लीमेंट करती है। विरोधी जिस बाउट में हारता है, उसकी जानकारी दी जाती है। मैं इसके साथ हूं और ओलिंपिक में जरूर गोल्ड मेडल लाएंगे। पत्रकार : जैस्मिन ने आज तक जो प्रदर्शन किया और दूसरे खिलाड़ियों को क्या कहना चाहेंगे? संदीप लंबोरिया : आपको ईमानदार रहना पड़ेगा अपने मां-बाप के साथ, अगर आपको गेम में अच्छा प्रदर्शन करना है तो, कोच के साथ ईमानदार रहना पड़ेगा। मानसिक और शारीरिक रूप से संबंधित हर दिक्कत-परेशानी कोच के साथ शेयर करनी पड़ती हैं। जो ईमानदारी से सब चीजें बताएंगे तो वो अच्छे से मार्गदर्शन करन पाएगा। मैं जैस्मिन के साथ घंटों-घंटों बैठता था और बातें करता था। परिवार के अन्य बच्चों के साथ भी बातें करता था। उनको मोटिवेशन की बातें और आगे बढ़ने में जो मदद करें वह उन्हें बताता था। वे सभी काफी काम आई हैं।
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