हरियाणा की सोनीपत विधानसभा सीट सुर्खियों में है। यहां से कांग्रेस उम्मीदवार सुरेंद्र पंवार चुनाव मैदान में हैं। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दो महीने जेल में रहने के बाद बुधवार को वे बाहर आए हैं। उनके जेल में रहने के दौरान सुरेंद्र पंवार की पुत्रवधू समीक्षा पंवार चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी संभाल रही थीं। इधर, भाजपा ने कांग्रेस छोड़कर आए मेयर निखिल मदान को टिकट दिया है। निखिल के पिता और चाचा के खिलाफ भी ईडी ने केस दर्ज किया है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी (AAP) ने देवेंद्र गौतम, इनेलो-बसपा ने धर्म सिंह बिल्लू मास्टर और जेजेपी-एएसपी ने एडवोकेट राजेश को मैदान में उतारा है। इस सीट पर करीब 2.51 लाख वोटर हैं। यहां सबसे ज्यादा पंजाबी समाज के वोट हैं। इसलिए भाजपा ने पंजाबी समाज से आने वाले निखिल मदान पर दांव लगाया है। कांग्रेस के सुरेंद्र पंवार की पुत्रवधू की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी पंजाबी समाज से है, इसलिए वे भी चुनाव में सुरेंद्र पंवार की मदद कर रही हैं। दोनों ही पार्टियों का फोकस पंजाबी समाज पर है, क्योंकि यहां ज्यादातर पंजाबी समाज के ही विधायक चुने जाते रहे हैं। लोगों का मानना है कि इस बार भाजपा पूरी ताकत लगा रही है, लेकिन सुरेंद्र पंवार के जेल से बाहर आने के बाद समीकरण बदल गए हैं, जिसके चलते कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर होगी। भाजपा ने यहां कभी कोई विकास नहीं किया, इसका असर निखिल के चुनाव पर पड़ेगा। लोगों के मुताबिक, फिलहाल जिस तरह से चुनाव प्रचार चल रहा है। उससे तो यही लगता है कि सुरेंद्र पंवार और निखिल मदान के बीच कांटे की टक्कर होने वाली है। लेकिन सुरेंद्र पंवार अब जेल से बाहर आ चुके हैं ऐसे में वह चुनाव प्रचार में काफी असर डालेंगे। पहले उनके बहू-बेटे इलेक्शन कैंपेन कर रहे थे लेकिन अब वह खुद इसमें लगेंगे तो फर्क पड़ेगा। 4 पॉइंट में समझें सोनीपत विधानसभा के समीकरण पहले चुनाव में बने 2 रिकॉर्ड आज तक नहीं टूटे सोनीपत के विधानसभा चुनाव का इतिहास बेहद दिलचस्प रहा है। हरियाणा के गठन के बाद साल 1967 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में 2 ऐसे रिकॉर्ड बने, जो 57 साल बाद भी बरकरार है। पहला रिकॉर्ड सर्वाधिक मतदान प्रतिशत का बना। इस चुनाव में 75.96 प्रतिशत मतदान हुआ। यह रिकॉर्ड आज तक नहीं टूट पाया है। दूसरा रिकार्ड सबसे कम वोटों से जीत का रहा, जिसमें कांग्रेस के मोहन लाल ठक्कर ने जनसंघ के मुख्त्यार सिंह को कड़े मुकाबले में केवल 895 वोटों से मात दी थी। पहले चुनाव के बाद आज तक किसी भी विधानसभा चुनाव में यहां विजयी अंतर 2500 वोटों से कम का नहीं रहा। देवीदास के नाम लगातार 3 बार विधायक बनने का रिकॉर्ड है। सबसे ज्यादा वोटों से जीत का रिकॉर्ड दिवंगत देवराज दीवान के नाम है। उन्होंने साल 1996 में हुए विधानसभा चुनाव में सपा के ओमप्रकाश को 37140 वोटों से शिकस्त दी थी। दूसरी सबसे बड़ी जीत कांग्रेस के सुरेंद्र पंवार के नाम रही, जिन्होंने 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की कविता जैन को 32861 वोटों से हरा दिया। निखिल मदान शहर के विकास के नाम पर वोट मांग रहे भाजपा उम्मीदवार निखिल मदान 2020 में हुए नगर निकाय के चुनाव में चर्चा में आए थे। वह भाजपा और जजपा उम्मीदवारों को हराकर मेयर बने। उनकी गिनती हुड्डा परिवार के करीबियों में होती थी। 2024 में विधानसभा चुनाव से पहले अचानक उन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया और भाजपा में शामिल हो गए। पंजाबी चेहरा होने की वजह से भाजपा ने उन्हें उम्मीदवार घोषित कर दिया। भाजपा जॉइन करने के बाद निखिल मदान ने कहा था कि सरकार में रहकर ही शहर में विकास करवा सकते हैं, इसलिए भाजपा जॉइन की। कांग्रेस का छोड़ने का फैसला सिर्फ इसलिए ही लिया है, क्योंकि मुझे आगे देखना है कि शहर का विकास कैसे होगा। अब विधानसभा चुनाव में निखिल मदान जनता के बीच कह रहे हैं कि विधायक रहते हुए सुरेंद्र पंवार यहां कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं लेकर आ पाए। शहर में विधायक बजट से कोई काम नहीं हुए। पंवार सोनीपत की जनता की आवाज नहीं बन पाए। मेयर रहते हुए मेरे हाथ में जितना था, मैंने उतने लोगों के काम किए। शहर में बड़े प्रोजेक्ट सिर्फ विधायक ही विधानसभा बजट से ला सकता है। मेरी कोशिश यही है कि मैं यहां बड़े प्रोजेक्ट लेकर आऊं। सुरेंद्र पंवार की पुत्रवधू भाजपा को घेर रहीं टिकट बंटवारे से पहले चर्चा थी कि कांग्रेस सुरेंद्र की पुत्रवधू समीक्षा को टिकट दे सकती है, लेकिन कांग्रेस ने सुरेंद्र को ही टिकट दिया। चूंकि सुरेंद्र उस दौरान जेल में थे, इसलिए समीक्षा ही तब से उनके चुनाव की कमान संभाल रही हैं। समीक्षा जनता के बीच जाकर लगातार कह रही हैं कि भाजपा उनके पिता पर भाजपा में शामिल होने का दबाव बना रही थी। जब उन्होंने इनकार किया तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। समीक्षा जनता के बीच कह रही हैं कि जिस निखिल को उनके पिता ने उंगली पकड़कर राजनीति में चलना सिखाया, आज वही उनके खिलाफ जाकर वोट मांग रहा है। जनता निखिल को इसका जवाब जरूर देगी। 20 जुलाई को गिरफ्तार हुए थे सुरेंद्र पंवार ED ने करीब 2 महीने पहले 20 जुलाई को सुरेंद्र पंवार को गिरफ्तार किया था। सुरेंद्र पंवार अवैध खनन से जुड़े मामले में दिल्ली ED ऑफिस में पेश हुए थे। यहीं से टीम ने उन्हें हिरासत में ले लिया। ED के वकील ने बताया था कि विधायक सुरेंद्र पंवार पर 25 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग के ट्रायल का मामला है। विधायक के खिलाफ 8 मामले दर्ज हैं। एक मामला ED की टीम ने दर्ज कराया है। जनवरी 2024 में यह मामला दर्ज किया गया था। विधायक सुरेंद्र पंवार का हरियाणा के साथ राजस्थान में भी खनन कारोबार है। इसी साल 4 जनवरी को ED की टीम ने उनके सोनीपत में सेक्टर-15 स्थित आवास पर रेड की थी। खनन कारोबार में करीब 36 घंटे तक जांच हुई थी। जिसके बाद खनन कारोबार में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए टीम ने घर में रखे डॉक्यूमेंट खंगाले थे। क्या कहते हैं सोनीपत के वोटर... राजीव बोले- स्थानीय मुद्दों पर चुनाव नहीं पटेल नगर के रहने वाले राजीव का कहना है कि इस बार यहां माहौल बीजेपी का है, क्योंकि मोदी सरकार देश के लिए बहुत अच्छा काम कर रही है। स्थानीय मुद्दों पर चुनाव नहीं है। केंद्र को देखते हुए ही यहां स्थानीय विधायक का चुनाव होगा। कांग्रेस के उम्मीदवार सुरेंद्र पंवार जेल से बाहर आ चुके हैं, जिससे चुनाव में असर पड़ेगा। कर्मबीर ने कहा- निखिल की छवि अच्छी कर्मबीर जट्टीपुर गांव निवासी कर्मबीर का कहना है कि यहां चुनाव में बीजेपी ने बढ़त बनाई हुई है। निखिल मदान की छवि यहां अच्छी है, क्योंकि उसे कोई भी यहां बुला ले, तो वह मना नहीं करते। सीएम नायब सैनी और निखिल मदान के चेहरे पर यहां वोट है। हरियाणा सरकार से इसलिए खुश है क्योंकि गरीब घरों के बच्चे भी बिना खर्ची-पर्ची के लगे हैं। रणदीप बोले- भाजपा ने उधार का कैंडिडेट लिया एडवोकेट रणदीप दहिया कहते हैं कि इस बार बीजेपी ने कांग्रेस से उधार का कैंडिडेट लिया है। मेयर को ही अपना प्रत्याशी बना लिया, क्योंकि निखिल मदान पर भी ईडी का केस था, जिसका ही डर दिखाकर भाजपा में शामिल किया है। यहां मुद्दे विकास से जुड़े हुए हैं, क्योंकि बीजेपी की सरकार ने 10 सालों में यहां काम नहीं करवाए। संदीप ने कहा- निखिल कांग्रेस के वोट काटेंगे डबल स्टोरी के रहने वाले संदीप कुमार ने बताया कि यहां मिलाजुला चुनाव है। प्रचार बीजेपी का ज्यादा है। इस बार यहां किसके पलड़े में गेम जाएगी, कुछ भी स्पष्ट नहीं है। सुरेंद्र पंवार मिलनसार व्यक्ति हैं। निखिल मदान कांग्रेस से ही बीजेपी में गए, इसका वोटों पर फर्क पड़ेगा। इससे कांग्रेस के वोट कटेंगे। हरियाणा चुनाव से जुड़ी ये ग्राउंड रिपोर्ट्स भी पढ़ें... हरियाणा में कांग्रेस 40, BJP 18 सीटों पर आगे:23 सीटों पर कड़ी टक्कर, इनेलो-निर्दलीय 4 पर आगे; जाट-दलित बंटे तो BJP को फायदा पूर्व BJP मंत्री हैट्रिक चांस में कड़े मुकाबले में फंसे:AAP की गुर्जर वोट बैंक में सेंध; कांग्रेस वेव से अकरम को फायदा अनिल विज कड़े मुकाबले में फंसे:खुद को CM चेहरा बता फायदा लेने की कोशिश; कांग्रेस पर गुटबाजी भारी, वोट शिफ्ट हुए तो चित्रा भारी पड़ेंगी राव इंद्रजीत की बेटी आरती तिकोने मुकाबले में फंसी:कांग्रेस बांटेगी अहीर वोटर; राजपूत-दलित वोटर्स एकतरफा तो ठाकुर बिगाड़ेंगे सियासी गणित नायब सैनी को CM चेहरे का फायदा:BJP के बागी गर्ग वोटकटवा; बड़शामी ने जाट न बांटे तो कांग्रेस के मेवा से कड़ी टक्कर विनेश फोगाट को कांग्रेस की वेव का सबसे बड़ा सहारा:जाट वोट बंटे तो मुश्किल में फंसेगी रेसलर; OBC-ब्राह्मण एकतरफा होने पर ही BJP को फायदा
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