हरियाणा में करनाल के नरूखेड़ी गांव में संदीप नरवाल के अपहरण की साजिश रचने वाला उसी का नजदीकी हेड कांस्टेबल नरेंद्र निकला। तीन दिन के रिमांड के बाद पुलिस के सामने तीनों बदमाशों ने अपहरण की वारदात का बड़ा खुलासा किया है। मुख्य आरोपी नरेंद्र ने ऑनलाइन सट्टे में भारी कर्ज होने के चलते इस वारदात को अंजाम दिया। 15-20 दिन की प्लानिंग के बाद आरोपी ने अपने साथियों के साथ नरूखेड़ी गांव से संदीप को दिनदहाड़े किडनैप किया, लेकिन पुलिस ने आरोपी के मंसूबों पर पानी फेर दिया और उन्हें 9 घंटे में ही गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने रिमांड के दौरान आरोपियों से गहनता से पूछताछ की और सीन रिक्रिएट भी किया। कोर्ट में पेश कर आरोपियों को जेल भेज दिया गया है। कैसे रची गई साजिश, पूरी घटना समझिये सिलसिलेवार सीआईए-2 के जांच अधिकारी मनोज कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि संदीप नरवाल युवकों को विदेश भेजने का काम करता था। आरोपी हेड कांस्टेबल नरेंद्र अपने भाई को विदेश भेजना चाहता था और एजेंट संदीप नरवाल से मिला था। नरेंद्र के पास पैसे का जुगाड़ नहीं हो सका था, लेकिन वह लगातार संदीप के टच में था। नरेंद्र ने संदीप का घर बार देखा हुआ था। वह संदीप के हालातों से वाकिफ था। बाद में नरेंद्र ने देखा कि संदीप ने कुछ ही समय में अच्छी प्रॉपर्टी बना ली है और करोड़ों रुपया कमा लिया है। ऑनलाइन सट्टा खेलता था मुख्य आरोपी नरेंद्र आरोपी हेड कांस्टेबल नरेंद्र ऑनलाइन सट्टा खेलता था। लोगों से पैसा ले लेकर सट्टा खेलता रहा और हारता चला गया। जिसकी वजह से उसके ऊपर काफी ज्यादा देनदारी हो चुकी थी और तनख्वाह से खर्चे पूरे नहीं हो रहे थे। नरेंद्र ने प्लान बनाया कि क्यों न किसी ऐसे आदमी को उठाया जाए, जो दो-तीन करोड़ रुपए आसानी से दे दे और हमारी जिंदगी आसानी से कटे। जिसके बाद आरोपी ने अपने दो साथियों को तैयार किया और बताया कि संदीप नरवाल को दिल्ली पुलिस ने उठाया था और वहां से जमानत करवाकर आया है और संदीप ने बहुत मोटा पैसा कमाया हुआ है। संदीप एक सॉफ्ट टारगेट है और इसको उठाते है तो दो-तीन करोड़ रुपए आसानी से दे देगा। एक जनवरी को भी आए थे घर पर पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि एक जनवरी को भी तीनों आरोपी संदीप के घर पर पहुंचे थे, लेकिन संदीप उस दिन घर पर नहीं था, इन लोगों ने संदीप के घर वालों को बताया था कि वे संदीप से मिलने आए है। वास्तव में ये लोग संदीप की रेकी करने के लिए आए थे। इन लोगों की प्लानिंग करीब 15-20 दिन से चल रही थी। लगातार रैकी की गई, जिसमें इन लोगों को पता चल गया कि संदीप किस टाइम कहां पर होता है। 4 जनवरी को मुख्य आरोपी ने अपने दोनों साथियों को गांव नरूखेड़ी में बुला लिया। इन लोगों को पता था कि संदीप दोपहर को अपनी बेटी को बस में बैठाने के लिए अकेला जाता है। इसी का फायदा आरोपियों ने उठाया। कार दूर खड़ी कर ली थी पुलिस ने बताया कि कार आरोपी अक्षय कुमार के नाम से रजिस्टर्ड है। जब मधुबन से आरोपी चले थे तो इन्होंने कार की दोनों नंबर प्लेट को उतारकर कार की डिग्गी में डाल दिया था। प्लानिंग के मुताबिक आरोपियों ने अपनी कार को बस स्टैंड नरूखेड़ी के नजदीक ही लगा दिया। जैसे ही संदीप अपनी बेटी को बस में बैठाकर वापिस घर की तरफ जाने लगा तो इन आरोपियों ने संदीप की बाइक के सामने अपनी कार को अड़ा दिया और ड्राइवर अक्षय और सुरेंद्र असला लेकर कार से नीचे उतरे और उसकी बाइक को धक्का देकर गिरा दिया। फिर संदीप को जान से मारने की धमकी दी और जबरन गाड़ी में धकेल लिया। सुरेंद्र पीछे वाली सीट पर संदीप को लेकर बैठ गया। नरेंद्र कंडक्टर सीट पर बैठा था और अक्षय ने कार ड्राइव की। वहां से किडनेप करके ले गए। एक घंटे बाद आई फिरौती की कॉल पुलिस के मुताबिक, पहले यह नहीं पता चल पा रहा था कि किडनेप किसने किया। करीब एक घंटे बाद संदीप के पिता धर्मबीर के पास फिरौती की कॉल आई और दो करोड़ रुपए की डिमांड की गई। एसपी गंगाराम पुनिया के निर्देश पर कई टीमों का गठन किया गया। साथ ही यह भी हिदायत दी गई कि जिसका अपहरण हुआ है उसको कुछ भी नहीं होना चाहिए। पुलिस ने हर जगह नाकेबंदी की थी। जींद इलाके में जाकर फिर किया कॉल पुलिस ने बताया कि बदमाशों ने संदीप के फोन से सिम निकालकर नए फोन में सिम डाली और उसी से आरोपियों ने संदीप के पिता धर्मबीर के पास दो करोड़ की फिरौती के लिए कॉल किया। धर्मबीर ने अपहरणकर्ताओं को कहा कि दो करोड़ हमारे पास नहीं है। इसके बाद किडनेपर्स ने डेढ़ करोड़ मांगे और कॉल काट दिया। बदमाश संदीप को लेकर गोहाना पहुंच गए। वहां ग्रामीण इलाको में घुमाते रहे। फिर कॉल किया तो पैसे के लिए धर्मबीर ने अपनी विवशता बताई। फिर आरोपी 80 लाख रुपए की डिमांड पर आ गए, जिसके लिए धर्मबीर तैयार हो गया। फिरौती की रकम के लिए असंध बुलाया आरोपियों ने फिरौती की रकम लेकर धर्मबीर को असंध बुलाया। गोहाना से आरोपी चले तो सालवन के पास पुलिस चौकी का नाका लगा हुआ था। पुलिसकर्मियों ने गाड़ी को पहचान लिया। पुलिस कर्मचारियों ने आरोपियों की गाड़ी का पीछा करना शुरू कर दिया। जैसे ही पुलिस की गाड़ी आरोपियों की गाड़ी के नजदीक पहुंची तो आरोपी सुरेंद्र ने अपनी पिस्टल निकालकर पुलिस की गाड़ी पर फायर कर दिया। फायर लगने और धुंध के कारण गाड़ी धीमी हो गई। जिसके बाद आरोपी अपनी गाड़ी को स्पीड में भगाकर ले गए। अलग-अलग जिलों की पुलिस थी अलर्ट पुलिस के मुताबिक, पानीपत पुलिस, सोनीपत पुलिस, करनाल पुलिस और जींद पुलिस की टीम अलर्ट मोड पर थी। आरोपियों ने अपनी गाड़ी को गोहाना की तरफ घुमा लिया। पुलिस को आरोपियों की गाड़ी की लोकेशन मिली हुई थी। सीआईए-2 की टीम इनके पीछे पीछे थी। गोहाना की सीआईए पुलिस भी इनको ट्रेक कर रही थी। हमारे पास प्राइवेट गाड़ी भी थी और सरकारी गाड़ी भी थी। आरोपियों ने भांप लिया कि पुलिस की गाड़ियां पीछे तो इन्होंने बीचपड़ी गांव के पास अपनी गाड़ी को भगा लिया। बीचपड़ी गांव से आगे एक मोड आता है, वह मोड तो इन आरोपियों ने क्रॉस कर लिया। उसे आगे आए मोड को वे क्रॉस नहीं कर पाए और इनकी गाड़ी पलट गई। कार पलटने के बाद फायर नहीं कर पाए आरोपी हम मौके पर पहुंच गए। हमने संदीप को सही सलाम बाहर निकाला। संदीप को भी चोटे लगी हुई थी और किडनेपर्स को भी चोटे लगी हुई थी। यहां पर ये लोग कोई भी फायर नहीं कर पाए, क्योंकि इन्होने सालवन के पास जो फायरिंग की थी उसी दौरान इनकी पिस्टल के चेंबर में खाली खोल फंस गया था, इसलिए पिस्टल दोबारा कॉक नहीं हुई, इसलिए दोबारा फायर नहीं कर सके। सबसे पहले इन सभी को अस्पताल लेकर गए और इलाज करवाया। जब यह तसल्ली हो गई कि किसी भी आरोपी को कोई गंभीर चोट नहीं है, उसके बाद इन सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। इन कब्जे से एक अवैध पिस्टल मिली, जिसके अंदर दो-तीन रौंद थे, एक चला हुआ खोल मिला। एक 32 बोर का देसी कट्टा मिला। वह सिम कार्ड भी बरामद हुई है, जिससे इन्होंने कॉल करके फिरौती मांगी थी। कोर्ट में पेश कर भेजा जेल सोनीपत के हलालपुर निवासी सुरेंद्र के उपर पहले भी हत्या के प्रयास व अन्य मामलों में छह-सात मुकद्मे दर्ज है। वर्ष 2007 से ही इसका क्रिमिनल रिकॉर्ड रहा है। कोर्ट से पीओ भी है। हेड कांस्टेबल नरेंद्र के उपर उसी की भाभी ने रेप का मुकद्मा दर्ज करवाया था, लेकिन उसमें बाद में समझौता हो गया था। अक्षय पर सोनीपत में मारपीट का मामला दर्ज है। इन लोगों ने जल्दी अमीर होने के चक्कर में पूरा चक्रव्यूह रचा। संदीप के साथ इनको कोई पैसे का लेन-देन नहीं है, सिर्फ फिरौती लेने के लिए ही अपहरण किया गया था। 5 जनवरी को सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश कर तीन दिन के रिमांड पर लिया गया। सीन रिक्रीएट करवाया गया। निशानदेही करवाई गई है और गहनता से पूछताछ की गई। इन सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश कर जेल में भेजा जाएगा।
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