Friday, December 19, 2025

हिसार में क्लोन झोटा 'गौरव 2.0' का जन्म:CIRB के वैज्ञानिकों को मिली सफलता, इसके पिता के सीमन से 25000 से अधिक डोज बने

हिसार स्थित केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (CIRB) के वैज्ञानिकों ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। संस्थान में “हिसार गौरव 2.0” नाम के क्लोन झोटे का 28 नवंबर को सफल जन्म हुआ। आज (18 दिसंबर) वैज्ञानिकों ने पहली बार इस बछड़े को सार्वजनिक रूप से दिखाया। यह बछड़ा प्रोजेनी टेस्टेड टॉप रैंक वाले झोटे (पशु संख्या 4354) की कोशिकाओं से तैयार किया गया है। यह उपलब्धि वैज्ञानिक रूप से अहम होने के साथ-साथ देश में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने और उन्नत नस्लों के विकास में भी मददगार साबित होगी। इसे भारतीय श्वेत क्रांति को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। पहला क्लोन झोटा 25000 सीमन दे चुका संस्थान के निदेशक डॉ. यशपाल शर्मा ने बताया कि इसी डोनर झोटे की कोशिकाओं से 2015 में पहला क्लोन “हिसार गौरव” तैयार किया गया था। वह आज भी स्वस्थ है और उच्च गुणवत्ता का सीमन दे रहा है। अब तक इसके जरिए 25 हजार से अधिक सीमन डोज तैयार की जा चुकी हैं, जिनसे देश के विभिन्न हिस्सों में लगभग 600 बछड़े-बछड़ियां सफलतापूर्वक पैदा हुए हैं। हिसार गौरव भी इसी कोशिकाओं से बना : डॉ. धमेंद्र परियोजना के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. धर्मेंद्र कुमार ने सुनिश्चित किया कि “हिसार गौरव 2.0” भी उसी झोटे की कोशिकाओं से विकसित हुआ है। उन्होंने इसके लिए पेरेंटेज की वैज्ञानिक पुष्टि करवाई, जिससे क्लोन की जैविक सटीकता और विश्वसनीयता प्रमाणित हुई। दुग्ध उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी डॉ. कुमार ने बताया कि यह उपलब्धि किसानों के लिए भी बेहद उपयोगी है। इस क्लोन से तैयार उच्च गुणवत्ता का सीमन किसानों तक पहुंचाया जा सकता है, जिससे श्रेष्ठ जर्मप्लाज्म का तेजी से प्रसार होगा और दुग्ध उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसके जरिए स्थानीय और क्षेत्रीय किसान बेहतर बछड़े और अधिक दूध देने वाली भैंसें पा सकेंगे, जिससे उनकी आय और उत्पादन क्षमता में सुधार होगा। इस प्रोजेक्ट में इनका योगदान रहा इस परियोजना में डॉ. पीएस यादव, डॉ. धर्मेंद्र कुमार, डॉ. मीति पुनेठा, डॉ. राकेश शर्मा, डॉ. प्रिया दहिया, मनु मांगल और डॉ. प्रदीप कुमार का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। संस्थान में आयोजित पंचवर्षीय समीक्षा बैठक (क्यूआरटी) के दौरान चेयरमैन डॉ. होन्नप्पागोल, जो कर्नाटक पशु चिकित्सा, पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय, बीदर के पूर्व कुलपति रह चुके हैं और भारत सरकार में पशुपालन आयुक्त के रूप में भी सेवाएं दे चुके हैं, ने नवजात क्लोन बछड़े को देखा और वैज्ञानिक टीम के काम की खुलकर प्रशंसा की।

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